पंजाब की भगवंत मान सरकार ने 27 दिसंबर को छोटे साहिबजादों के शहीदी दिवस पर शोक बिगुल बजाने का फैसला वापस ले लिया है. मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी साझा की है. उन्होंने लिखा कि मैं नहीं चाहता कि इन दिनों संगत साहिबजादों के बलिदान को श्रद्धांजलि देने के अलावा कोई और बहस या चर्चा हो. इसलिए पंजाब सरकार ने भावनाओं का सम्मान करते हुए 27 दिसंबर को श्री फतेहगढ़ साहिब में अंतिम संस्कार का बिगुल बजाने का फैसला वापस ले लिया है.
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि दिसंबर के महीने में श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के समूचे परिवार को शहीद किया गया था, यह समूची मानवता के लिए शोक का महीना है. छोटे साहिबजादों और माता गुजरी जी का महान बलिदान दुनिया भर में जाना जाता है. उन्होंने कहा कि माता गुजरी जी समेत साहिबजादों जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की शहादत ने सदियों से पंजाबियों को बेइंसाफी और जुल्म के खिलाफ लड़ने की ताकत दी है. दुनिया में उनके बलिदान की मिसाल दी जाती है. इस भावना का सम्मान होना चाहिए.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मातामी बिगुल के फैसले पर आपत्ति जताई थी. शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा था कि 27 दिसंबर को 10वें गुरु साहिबजादा के शहीदी दिवस पर शोक बिगुल बजाने की घोषणा शिष्टाचार के खिलाफ है. फतेह सिंह की शहादत शोक नहीं बल्कि प्रगति का प्रतीक है. साहिबजादों ने हक, सच्चाई और धर्म के लिए बलिदान देने का फैसला कर लिया था.
दूसरी तरफ श्रीअकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी साहिबजादों की शहादत के मौके पर रात 10 बजे से मूल मंत्र का जाप करने का संदेश दिया है.