मोदी सरकार ने 2021-22 के बजट (Budget) में कृषि कर्ज (Agriculture loan) का लक्ष्य बढ़ा दिया है. इसमें 1.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है. अब तक यह 15 लाख करोड़ रुपये था. जो अब बढ़कर 16.5 करोड़ हो जाएगा. हालांकि पिछले बजट से काफी कम वृद्धि की गई है. सरकार का लक्ष्य प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (PM Kisan Scheme) के सभी लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए खेती के लिए लोन उपलब्ध करवाना है. ताकि किसान भाई साहूकारों के चंगुल में न फसें. इसलिए इसके टारगेट में वृद्धि की गई है.
इस समय पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम के 11.52 करोड़ लाभार्थी हैं. जबकि किसान क्रेडिट कार्ड (KCC-kisan credit card) के करीब 8.5 करोड़. इस गैप को पाटने के लिए लॉकडाउन के वक्त सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपये की खर्च सीमा के 2.5 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाने की घोषणा की थी. इसमें से अभी 1.5 करोड़ ही नए कार्ड बन पाए हैं. यह वृद्धि इस गैप को पाटने व कृषि क्षेत्र को और रफ्तार देने के काम आएगी.
कब कितना बढ़ा टारगेट
साल 2020-21 के बजट में कृषि कर्ज देने का लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था. जबकि 2019-20 के बजट में यह सिर्फ 11 लाख करोड़ रुपये ही था. वर्ष 2017-18 में 10 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य था. इस लक्ष्य के आधार पर देश के विभिन्न बैंकों के जरिए कृषि योजनाओं के तहत किसानों को कर्ज के रूप में पैसा दिया जाता है. कृषि वैज्ञानिक प्रो. रामचेत चौधरी ने कहा कि हर साल कर्ज का लक्ष्य बढ़ाया जाता रहा है.
क्यों बढ़ाया जा रहा लक्ष्य
एनएसएसओ (NSSO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के हर किसान (Farmer) पर औसतन 47 हजार रुपये का कर्ज है. जबकि हर किसान पर है औसतन 12130 रुपये का कर्ज साहूकारों का है. साहूकारों से सबसे ज्यादा 61,032 रुपये प्रति किसान औसत कर्ज आंध्र प्रदेश में है. दूसरे नंबर पर 56,362 रुपये औसत के साथ तेलंगाना है और तीसरे नंबर पर 30,921 रुपये के साथ राजस्थान है. सरकार चाहती है कि किसान साहूकारों की बजाय सरकारी संस्थाओं से लोन लें.
लक्ष्य से अधिक लिया गया कर्ज
एग्री लोन देने का जो लक्ष्य रखा जाता रहा है, वितरण उससे अधिक रहा है. साल 2017-18 में 10 लाख करोड़ रुपये के टारगेट पर 11,62,617 करोड़ रुपये का कर्ज वितरित किया गया. जबकि 2016-17 में 9 लाख करोड़ रुपये के टारगेट पर 10,65,755 लाख करोड़ रुपये कृषि कर्ज के रूप में दिए गए.