भारत (India) में जहां शहरों, रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने (Name Change) की परंपरा चल रही है, वहीं खुद को इस्लाम (Islam)का सबसे बड़ा पैरोकार बताने वाले रेचप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने अपने देश का नाम ही बदल डाला है. तुर्की को अब तुर्किये (Turkey Is Now Turkiye) के नाम से जाना जाएगा. यानी अब सभी तरह के व्यापार, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और राजनयिक कार्यों के लिए तुर्की की जगह तुर्किये का इस्तेमाल किया जाएगा.
इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने एक बयान जारी कर कहा था कि उन्होंने देश के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नाम को ‘तुर्की’ से तुर्किये में बदल दिया (Turkey Name Change) है. उन्होंने यह भी बताया था कि तुर्किये शब्द तुर्की राष्ट्र की संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों को बेहतरीन तरीके से दर्शाता है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर एर्दोगन को मुल्क का नाम बदलने की जरूरत क्यों पड़ी?
हाल ही में, नीदरलैंड ने दुनिया में अपनी छवि को आसान बनाने के लिए ‘हॉलैंड’ नाम को हटा दिया था. उससे पहले, ‘मैसेडोनिया’ ने ग्रीस के साथ एक राजनीतिक विवाद के कारण नाम बदलकर उत्तरी मैसेडोनिया कर दिया था. 1935 में ईरान ने अपना नाम फारस से बदल लिया था. पश्चिमी देशों में फारस शब्द का इस्तेमाल किया जाता था. फारसी में ईरान का अर्थ पर्शियन है. उस समय यह माना गया था कि देश को स्थानीय रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले नाम से ही पुकारना चाहिए न कि ऐसा नाम जो बाहर के लोग जानते हैं.
टर्किश भाषा में तुर्की को तुर्किये कहा जाता है. 1923 में पश्चिमी देशों के कब्जे से आजाद होने के बाद तुर्की को तुर्किये नाम से ही जाना गया था. सदियों से यूरोपीय लोगों ने इस देश को पहले ओटोमन स्टेट और फिर तुर्किये नाम से संबोधित किया. बाद में इसे तुर्की कहा जाने लगा और इसी को आधिकारिक नाम बना दिया गया. वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि नाम बदलना कोई असामान्य बात नहीं है. ये फैसला देश की ब्रांडिंग से जुड़ा होता है.