सुप्रीम कोर्ट आज गर्भवती महिलाओं पर वैक्सीन के असर की जांच करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. बता दें इससे पहले दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग की उस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया जिसमें गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं पर कोरोना वैक्सीन के असर पर अध्ययन और वैक्सीन लगवाने वाली ऐसी महिलाओं की निगरानी की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को उच्च जोखिम वाली श्रेणी घोषित करने और COVID-19 टीकाकरण के लिए प्राथमिकता देने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया था.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और दो हफ्ते के भीतर इस मामले में जवाब मांगा. हालांकि याचिका में कई अहम सवाल उठाए गए थे, जिसमें कहा गया है कि किसी को ये पता नहीं कि गर्भवती महिलाओं को जो कोरोना वैक्सीन दी जा रही है, उसका मां या बच्चे पर क्या असर पड़ रहा है. क्या इसका मां या बच्चे की सेहत पर कोई नकारात्मक असर पड़ सकता है. इसकी वैज्ञानिक जांच होनी चाहिए और जनता को ये सब जानने का अधिकार है.
केंद्र ने जारी किए थे दिशा-निर्देश
डीसीपीसीआर की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि केंद्र ने गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के टीकाकरण के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं लेकिन अब कहा जा रहा है कि टीकाकरण के कारण उन पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि इन स्थितियों में महिलाओं को उच्च जोखिम वाली श्रेणियों के रूप में घोषित करने की आवश्यकता है और क्योंकि लोग एक ऐसे वायरस से निपट रहे हैं जिसके बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए उन पर टीकाकरण के प्रभावों पर निरंतर शोध करने की आवश्यकता है.
दिव्यांगजनों के लिए सुविधाजनक विकल्प उपलब्ध करवाने की मांग
शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि वह गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के टीकाकरण के लिए तैयार की गई नीति से अवगत कराएं और साथ ही इस मामले में भविष्य में उठाए जाने कदमों के बारे में उनसे सहायता मांगी है.इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उनके निवास स्थान पर प्राथमिकता के आधार पर कोरोना टीकाकरण की मांग करने वाली जनहित याचिका पर भी केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. इस याचिका में दिव्यांगजनों के लिए कोविन ऐप की जगह दूसरा सुविधाजनक विकल्प उपलब्ध करवाने की भी मांग की गई है.