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किसी अजूबे से कम नहीं है ये आइलैंड, यहां पहाड़ को भी खा जाते हैं लोग

इस धरती पर ऐसी कई जगहें हैं, जिनसे आज भी दुनिया के अधिकतर लोग अनजान हैं. ऐसे में इन जगहों को रहस्यमय ही माना जाता है. पहाड़ों के बारे में तो आप जानते ही होंगे कि वो कितने कठोर होते हैं, उन्हें तोड़ना मुश्किल ही नहीं, कभी-कभी नामुमकिन भी हो जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसी जगह भी है, जहां लोग पहाड़ को भी खा जाते हैं. जी हां, यह हैरान होने वाली बात तो है, लेकिन बिल्कुल सच है. असल में यह जगह एक आइलैंड है, जो जम्बुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश ईरान के तट से 8 किलोमीटर दूर फारस की खाड़ी के नीले पानी के बीच में है. आइए जानते हैं इस इस आइलैंड की कुछ रहस्यमय बातें, जो आपको सच में हैरान कर देंगी.

इस आइलैंड का नाम है होर्मुज द्वीप, जिसे रेनबो द्वीप के नाम से भी जाना जाता है. इसके बारे में कहा जाता है कि इस आइलैंड की खूबसूरती से दुनिया आज भी अनजान है. इस आइलैंड को ‘भूवैज्ञानिकों का डिज्नीलैंड’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां की सुनहरी नहरें, रंग-बिरंगे पहाड़ और खूबसूरत दिखने वाली नमक की खदानें मन को मोह लेती हैं.

कहते हैं कि महज 42 वर्ग किलोमीटर में फैला यह आइलैंड आसमान से एकदम रंगीन दिखता है. पत्थर, मिट्टी और लोहे से भरपूर यहां ज्वालामुखी की चट्टानें जब लाल, पीले और कई रंगों में चमकती हैं तो ऐसा लगता है जैसे यह धरती नहीं, बल्कि किसी दूसरी दुनिया का नजारा हो. यहां की पत्थर और चट्टानें जब धूप के संपर्क में आते हैं तो चमकने लगते हैं. इस आइलैंड पर 70 से भी अधिक तरह के खनिज पाए जाते हैं.

कहा जाता है कि इस आइलैंड का निर्माण हजारों साल पहले हुआ था और इसे खूबसूरत बनाने में ज्वालामुखीय चट्टानें, खनिज और नमक के टीलों का अहम योगदान है. इस आइलैंड की जो सबसे रोचक बात है, वो ये कि यहां का पहाड़ दुनिया का एकमात्र ऐसा पहाड़ है, जिसे खाया भी जा सकता है, क्योंकि ये पहाड़ नमक की मोटी परतों से बने होते हैं.

तरह-तरह के खनिजों की वजह से इस द्वीप की मिट्टी भी मसालेदार होती है, जिसका इस्तेमाल खाने में मसाले के तौर पर किया जाता है. यहां की लाल मिट्टी का इस्तेमाल लोग चटनी के तौर पर करते हैं. इसके अलावा स्थानीय कलाकार यहां की लाल मिट्टी को पेंटिंग में भी इस्तेमाल करते हैं. लोग अपने कपड़ों को रंगने के लिए इसका उपयोग करते हैं, यानी कुल मिलाकर यहां की मिट्टी ‘सर्वगुणसंपन्न’ है.