आतंकवाद और कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान को अब इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। पाकिस्तान के ही एक प्रतिबंधित इस्लामी संगठन ने अपने नेता साद रिजवी (Saad Rizvi) की रिहाई और फ्रांस के राजदूत को निकालने की मांग को लेकर इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार सुरक्षा बलों और चरमपंथियों के बीच हुई झड़प में तीन पुलिसकर्मी समेत पांच लोग मारे गए और 15 अन्य घायल हो गए।
साद रिजवी के रिहाई की मांग
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) ने लाहौर से इस्लामाबाद तक के लिए मार्च निकाला था। टीएलपी अपने नेता साद रिजवी को रिहा करने की मांग की है जिसे फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन करने पर पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। फ्रांस की एक पत्रिका में पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छपने के बाद साद ने प्रदर्शन किया था। मार्च में शामिल कट्टरपंथियों को इस्लामाबाद की तरफ बढ़ने से रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने 2,500 से ज्यादा आंसू गैस के गोले दागे। सुरक्षा बलों की कार्रवाई के बाद वहां हिंसा भड़क गई। समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक इसमें तीन पुलिसकर्मी की मौत हुई है। वहीं, टीएलपी ने अपने दो कार्यकर्ताओं के शवों की तस्वीर जारी की है, जिनकी पुलिस के साथ झड़प में मौत हुई है। कई लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है।
TLP 1500 से अधिक कार्यकर्ता हिरासत में
पुलिस ने पूरे पंजाब प्रांत में TLP के 1500 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है। प्रांत के सभी 36 जिलों में टीएलपी से जुड़े लोगों की धरपकड़ की गई है। टीएलपी ने शुक्रवार की नमाज के बाद साद हुसैन रिजवी की हिरासत के खिलाफ प्रदर्शन शुरू करने की घोषणा की थी। उसने कहा था कि उसके सदस्यों को इस्लामाबाद जाने से रोका गया तो वह ‘प्लान बी’ अमल में लाएगा। टीएलपी के कार्यकर्ता बुधवार से ही लाहौर स्थित संगठन के मुख्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।