अयोध्या : ग्लोबल टूरिज्म हब के रूप में विकसित की जा रही रामनगरी में पर्यटक त्रेतायुग में भगवान राम की वन यात्रा का भी आभास कर सकेंगे। वनवास के दौरान पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ भगवान राम जिन-जिन वन क्षेत्रों से होकर गुजरे थे उनकी स्मृतियां रामायण थीम पार्क (राम स्मृति वन) के रूप में प्रतिष्ठित करने की योजना एक कदम और आगे बढ़ गई है।
गुप्तारघाट से नयाघाट के बीच यह योजना प्रस्तावित है। विकास प्राधिकरण इस पार्क को विकसित करने क संभावनाएं सरयू किनारे जमथराघाट के आसपास तलाश रहा है। जिला प्रशासन के समक्ष रामायण थीम पार्क का प्रस्तुतिकरण संपन्न हो चुका है। प्राधिकरण ने अब जिला प्रशासन से इस क्षेत्र में सरकारी भूमि का ब्यौरा मांगा है। रामायण थीम पार्क पीपीपी मॉडल पर बनाया जाएगा। ली एसोसिएट्स ने विजन डॉक्यूमेंट में इस परिकल्पना को प्रमुखता से स्थान दिया है। अयोध्या आने वाले श्रद्धालु एक से अधिक दिन यहां बिताएं। इसलिए रामनगरी के पौराणिक स्वरूप को निखारने के साथ रामायण थीम पार्क के रूप में वृहद पर्यटन क्षेत्र विकसित करने की योजना विजन डॉक्यूमेंट में शामिल की गई है। गुप्तारघाट से नयाघाट के बीच करीब दो किलोमीटर कच्चे बंधे को सु²ढ़ करने के साथ ही सुंदरीकरण की भी योजना है। पर्यटन विभाग के बजट से यह कार्य कराया जाएगा। इसका डीपीआर भी स्वीकृति के लिए शासन को भेजा जा चुका है।
विशेष होगा पार्क का स्वरूप
पार्क में रामायणकालीन वनस्पतियों का पूरा वन क्षेत्र तैयार करने का सुझाव दिया गया है। चित्रकूट, दंडकारण्य, पंचवटी, द्रोणागिरि आदि ऐसे स्थल, जिनका उल्लेख रामायण में मिलता है, उनका स्वरूप देखने को मिलेगा। रामायण कालीन वनस्पतियों से आच्छादित इस पार्क को आध्यात्मिक वन क्षेत्र के रूप में तैयार किया जाएगा। विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह कहते हैं कि इस योजना में वनवास के दौरान भगवान राम ने जहां-जहां विश्राम किया उसकी भी झलक देखने को मिलेगी। आश्रम बनाए जाएंगे, जहां पहुंच कर पर्यटकों को बिल्कुल उसी कालखंड का अनुभव होगा। रामायण थीम पार्क को सिगापुर में स्थित सेंटोसा आईलैंड की तरह विकसित किए जाने की रूपरेखा भी शासन में प्रस्तुत की गई है। भूमि की मांग प्रशासन से की गई है।