क्या आपने ऐसे संकट के बारे में सुना है, जिसकी वजह से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री (Automobile Industry) को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है. इस संकट की वजह से स्मार्टफोन (Smartphone) से लेकर कंप्यूटर तक की निर्धारित डिलीवरी देरी से हुई है. अगर आप सोच रहे हैं कि ये संकट कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) है तो आप गलत हैं. दरअसल, इस तरह का संकट सेमीकंडक्टर चिप्स की सप्लाई में हुई कमी की वजह से हुआ. यहां गौर करने वाली बात कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन के चलते इस समस्या की शुरुआत हुई.
हालांकि, अधिक चिंता की बात ये है कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि सेमीकंडक्टर चिप्स (Semiconductor chips) का प्रोडक्शन चुनिंदा देशों में ही होता है, इस वजह से ये संकट ज्यादा गहरा गया. यही वजह है कि क्वाड (Quad) के नाम से जाने वाले सुरक्षा समूह ने सेमीकंडक्टर चिप्स की सप्लाई चेन की समस्या को सुलझाने के लिए अपना ध्यान केंद्रित किया है. बता दें कि क्वाड में ऑस्ट्रेलिया (Australia), अमेरिका (America), जापान (Japan) और भारत शामिल हैं. सेमीकंडक्टर चिप्स आज की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी मानी जाती है. ऐसे में आइए इसके बारे में जाना जाए.
सेमीकंडक्टर को लेकर क्वाड क्या चाहता है?
जापानी अखबार निक्की के मुताबिक, वाशिंगटन (Washington) में हो रही क्वाड की पहली व्यक्तिगत बैठक (Quad In-Person Meeting) में सेमीकंडक्टर्स की सुरक्षित सप्लाई चेन को तैयार करना प्रमुख एजेंडा होने वाला है. निक्की ने क्वाड नेताओं के संयुक्त बयान के ड्राफ्ट के हवाले से कहा कि चारों मुल्कों ने हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सेवाओं के लिए लचीला, विविध और सुरक्षित टेक्नोलॉजी सप्लाई चेन के महत्व पर जोर दिया. क्वाड नेताओं में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden), ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison), जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा (Yoshihide Suga) और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) शामिल हैं.
सेमीकंडक्टर चिप की कमी क्यों हुई?
कोरोना की शुरुआत होने के बाद गाड़ी बनाने वालों कंपनियों के प्रोडक्शन में कमी आई है, जबकि एप्पल जैसी कंपनियों को चिप्स की कमी से जूझना पड़ा है. 2021 में चिप की कमी की वजह से कार निर्माताओं को 60.6 बिलियिन डॉलर का नुकसान हुआ है. वहीं, लॉकडाउन के बाद लोग घरों से काम करने लगे और इस वजह से इलेक्ट्रोनिक्स गैजेट की मांग बढ़ी, जिसकी वजह से चिप्स की कमी और तेज हो गई. दरअसल, सेमीकंडक्टर की 75 फीसदी वैश्विक उत्पादन पूर्वी एशिया में होता है. ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे मुल्क सबसे उन्नत चिप्स को तैयार करते हैं. इन मुल्कों का झुकाव अमेरिका की तरफ है.
अमेरिका ने चीनी कंपनी हुवाई को चिप्स बेचने से रोकना शुरू कर दिया. इसके बाद अमेरिका के बाहर की कंपनियों को चीनी कंपनियों से ऑर्डर मिलने लगे. वहीं, बीजिंग ने पहले ही सेमीकंडक्टर्स को तैयार शुरू कर दिया है. इसका लक्ष्य है कि ये 2025 तक सेमीकंडक्टर्स के उत्पादन में 70 फीसदी तक आत्मनिर्भरता ले आए. वहीं, चीन द्वारा अपने चिप इंडस्ट्री को सुरक्षित स्तर पर रखने के कदमों ने अब अन्य प्रमुख ताकतों का ध्यान अपनी ओर किया है, क्योंकि महामारी ने स्पष्ट रूप से साबित कर दिया है कि केंद्रित सप्लाई चेन डिजिटल युग में बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री के लिए एक जोखिम है.