बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना गया है. बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी हैं जो कि ज्ञान और बुद्धि के दाता हैं. इनकी कृपा से सुख-समृद्धि, संतान, धार्मिक कार्य, सौभाग्य और पुण्य फल प्राप्त होता है. देवगुरु बृहस्पति की कृपा होने पर इन सभी सुखों की प्राप्ति होती है लेकिन यदि किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति कमजोर हैं या फिर अशुभ फल दे रहे हैं तो उसे जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में उस जातक को देवगृरु बृहस्पति का व्रत, मंत्र जप एवं उनसे संबंधित दान का महाउपाय जरूर करना चाहिए. आइए जानते हैं बृहस्पतिवार व्रत की कथा और उसका महत्व –
बृहस्पतिवार व्रत की विधि
देवगुरु बृहस्पति की कृपा पाने के लिए उनका व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से प्रारंभ करना चाहिए. इस व्रत को कम से कम 16 व्रत अवश्य करना चाहिए. बहुत से लोग इस व्रत को लगातार तीन साल तक करते हैं. व्रत के दिन पीले रंग के कपड़े पहनें और बृहस्पति के मंत्र की 3 या 11 माला जपें. इस दिन देवगुरु बृहस्पति की पीले फूलों से पूजा करें. भोजन में चने के बेसन की बनी मिठाइयाँ, लड्डू, हल्दी से पीले चावल, या केसर से पीले किये चावल आदि ही खायें. इस दिन इन्हीं चीजों का दान करना चाहिए. जब अंतिम बृहस्पतिवार आए तो उस दिन विधि-विधान से हवन, पूर्णाहुति के बाद ब्राह्मण व लड़कों को भोजन करायें और अपने सामथ्र्य के अनुसार दान देना चाहिए. बृहस्पतिवार व्रत के दिन केले का पूजन भी शुभ माना जाता है.
बृहस्पति का प्रार्थना मंत्र
देवगुरु बृहस्पति की कृपा पाने के लिए उनकी पूजा में नीचे दिये गये प्रार्थना मंत्र को जरूर पढ़ना चाहिए –
देवमंत्री विशालाक्षः सदा लोकहितेरतः।
अनेकशिष्यैः संपूर्णः पीडां दहतु में गुरुः।।
बृहस्पति का तंत्रोक्त मंत्र
बृहस्पति देव का आशीर्वाद पाने के लिए पीपल की समिधा से हवन करना चाहिए और नीचे दिये गये गुरु तंत्रोक्त मंत्र का जाप करना चाहिए. इस मंत्र का 19 हजार बार जप करना चाहिए.
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।
बृहस्पतिवार का महाउपाय
- बृहस्पतिवार के दिन केसर या फिर हल्दी का तिलक लगाएं.
- गुरुओं, मंदिर के पुजारी आदि का सम्मान करें और अपने सामथ्र्य के अनुसार उन्हें बृहस्पति से संबंधित चीजों का दान करें.
- बृहस्पतिवार के दिन केले का पेड़ लगाने और दान करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है.
- कुंडली में बृहस्पति को मजबूत बनाने के लिए सोने का बृहस्पति यंत्र बनवाकर गले में पहनें.