तालिबान (Taliban) ने ऐलान कर दिया है कि अफगानिस्तान में उसकी नई सरकार का नेतृत्व मुल्ला हैबतुल्ला अखुंदजादा (Mullah Haibatullah Akhunzada) करेगा. अभी तक अखुंदजादा लोगों की निगाहों से दूर रहा है. टोलो न्यूज के मुताबिक, तालिबान ने अफगानिस्तान (Afghanistan) को चलाने के लिए अपने सरकारी ढांचे को अंतिम रूप दे दिया है. हैबतुल्ला अखुंदजादा तालिबान सरकार का मुखिया होगा. उसके नेतृत्व में एक प्रधानमंत्री या एक राष्ट्रपति देश को चलाएगा. स्थानीय रिपोर्ट्स में बताया गया है कि तालिबान सरकार (Taliban government) को लेकर जल्द ही घोषणा की जाएगी.
टोलो न्यूज ने तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य अनामुल्ला समांगानी (Anamullah Samangani) के हवाले से कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हैबतुल्ला अखुंदजादा नई अफगानिस्तान सरकार का प्रमुख होगा. इसके अलावा, तालिबान पहले ही प्रांतों और जिलों के लिए गवर्नर, पुलिस प्रमुख और पुलिस कमांडर नियुक्त कर चुका है. काबुल पर तालिबान के कब्जे और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को मुल्क छोड़कर भागे हुए दो हफ्ते हो चुके हैं. इस वजह से अफगानिस्तान में अफरा-तफरी का माहौल है. हजारों की संख्या में अफगानों ने काबुल एयरपोर्ट के जरिए देश छोड़ने का प्रयास किया है.
अफगानिस्तान का भविष्य अधर में लटका
30 अगस्त को अमेरिकी सैनिकों (US Troops) की वापसी के बाद से काबुल एयरपोर्ट (Kabul Airport) अब तालिबान के कब्जे में है. इसे चरमपंथी संगठन की बद्री 313 बटालियन द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है. तालिबानी शासन में अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर अनिश्चितता का माहौल है. तालिबान के कब्जे के बाद से ही बर्बाद अर्थव्यवस्था का बुरा हाल हो चुका है. बैंकों ने काम करना बंद कर दिया है और लोगों को कैश के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. अफगानों के हाथों में नौकरी, कमाई या नकदी नहीं होने और रोजमर्रा की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी होने की वजह से लोगों का जीवन कठिन हो गया.
सरकार गठन कार्यक्रम में भारत को न्योता भेज सकता है तालिबान
वहीं, तालिबान की नई सरकार को लेकर काबुल (Kabul) स्थित राष्ट्रपति भवन में भव्य समारोह के लिए तैयारियां जोरो-शोरों पर हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, तालिबान की नई सरकार के गठन के मौके पर भारत समेत कई देशों के प्रमुखों को न्योता भेजा जाने वाला है. कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के डिप्टी प्रमुख शेर अब्बास स्तानिकजई ने इस बात की पुष्टि की कि नई सरकार में सभी अफगान जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व होगा. उन्होंने कहा, जिन लोगों ने 2001 में अमेरिकी कब्जे के बाद कैबिनेट में सेवाएं दीं, उन्हें नई कैबिनेट में जगह नहीं दी जाएगी.