काबुल एयरपोर्ट(Kabul Airport) पर बम धमाकों से सब लोग हैरान हो गये हैं। इसके बाद दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में एक्यूआईएस, आईएसकेपी और हक्कानी नेटवर्क की तिकड़ी से खतरे का खुफिया अलर्ट जारी कर दिया गया है। इसमें ये बताया गया है कि कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रोविंस (आईएसकेपी), अलकायदा इन इंडियन सबकांटिनेंट (एक्यूआईएस) और हक्कानी नेटवर्क से अलर्ट रहने की जरूरत है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान आधारित इन संगठनों की तिकड़ी देश में किसी भी तरह की बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है। इसके लिए पाकिस्तानी खुफिया इकाई (आईएसआई) इनके साथ मिलकर ये साजिश रच रही है।
असल में, अफगानिस्तान के बिगड़ते हालात और आईएसआई के विभिन्न आतंकी संगठनों के साथ उसकी लगातार बढ़ रही करीबी को ध्यान में रखते हुए तमाम खुफिया इकाइयां इस समय इस ओर पैनी नजर गडाए हुए हैं। खुफिया इकाइयों को ये पता चला है कि आतंकी संगठनों के जरिए आईएसआई एक साजिश रच रही है। उसका मकसद इन संगठनों के लड़ाकों के माध्यम से देश में वारदात को अंजाम देना है। इस तिकड़ी के लड़ाकों के निशाने पर जरूरी सिक्योरिटी इंस्टॉलेशन और आर्मी की फॉरवर्ड पोस्ट हैं। इसके अतिरिक्त आतंकी जवानों को भी निशाने में लेने के आसार है। यह खुफिया अलर्ट देश की सीमा सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियों के साथ कई दूसरी सुरक्षा एजेंसियों को भेजा गया है।
इस मैसेजिंग ऐप से संपर्क कर रहे
सुरक्षा एजेंसियों को इस बात का पता चला है कि आतंकी संगठनों की यह तिकड़ी मैसेजिंग एप के माध्यम से अपने सदस्यों के संपर्क में है। इसका मकसद सुरक्षा एजेंसियों की नजरों में बिना आए अपना काम निकालना है।
किस ऐप का कर रहें कौन इस्तेमाल
1. एक्यूआईएस- नेटवर्क सिग्नल, टेलीग्राम और स्लैक मैसेजिंग प
2. आईएसकेपी- थ्रीमा, हूप और रॉकेट चैट जैसे मैसेजिंग एप
3. हक्कानी नेटवर्क- टेलीग्राम, सिग्नल के अलावा सैटेलाइट नेटवर्क का इस्तेमाल
एक्यूआईएस
एक्यूआईएस मतलब कि अल-कायदा इन इंडियन सबकांटिनेंट। यह संगठन कोर अलकायदा से भिन्न ढ़ंग से काम करता है। इसकी स्थापना पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के निकट हुई थी। यह संगठन विभिन्न देशों में स्लीपर सेल की मदद से स्थानीय नेटवर्क के माध्यम से संगठन में नौजवानों की भर्ती कराता है। इसमें कुछ आतंकी सीरिया भी भेजे गए हैं। इस संगठन को आईएसआई का पूरा सहयोग मिलता है, ऐसी खबरें है।
आईएसकेपी
इस्लामिक स्टेट खोरासान प्रोविंस (आईएसकेपी) इस्लामिक स्टेट (आईएस) का ही एक प्रारूप है। खुफिया इकाइयों की मानी जाए तो इस संगठन में अधिकतर पाकिस्तानी लोग ही शामिल हैं। इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रोविंस (आईएसकेपी) को आईएसआईएस-के नाम से भी पुकारते है। इसके पास 1500 से 2200 आतंकी लड़ाके हो सकते है। इसकी स्थापना भी पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास हुई थी।
हक्कानी नेटवर्क
बड़े हमलों को अंजाम देने वाले अच्छे लड़ाके हक्कानी नेटवर्क के पास हैं। ये लड़ाके टेक्नीकली काफी माहिर हैं और एक्सप्लोसिव डिवाइस व रॉकेट बनाने में भी दक्ष हैं। अलकायदा के साथ इस संगठन के रिश्ते मधुर हैं। इस संगठन के बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह क्षेत्रीय और विदेशी चरमपंथी संगठनों से पाकिस्तान-अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय आतंकी सगठनों के साथ मेलजोल में बड़ी भूमिका निभाता है।