अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद दुनिया में आतंक का खतरा बढ़ गया है। भारत का अफगानिस्तान में बड़ा निवेश और परियोजनायें हैं। भारत का पड़ोसी होने के नाते चिंता बढ़ गयी है। अफगानिस्तान में लगातार बिगड़ती स्थिति के बीच भारत सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह बैठक 26 अगस्त को दिन में 11 बजे होगी। बैठक में अफगानिस्तान के मसले पर सभी दलों से उनका पक्ष लिया जाएगा। अफगानिस्तान में भारत का बड़ा निवेश के साथ सामरिक संतुलन और वह एक रणनीतिकार साथी है। अफगानिस्तान में तालिबान का राज आ जाना भारत के लिए बड़ी चुनौती है। भारत एक ओर आतंकवाद से लड़ रहा है तो दूसरी और उसके रिश्ते सामने हैं। अफगान , तालिबान को लेकर भारत की रणनीति पर दुनिया की नजर है।
वेट एंड वॉच के मोड में है भारत
भारत सरकार की ओर से अभी तक तालिबान का कब्जा होने पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। अभी अफगानिस्तान पर फंसे भारतीय नागरिकों को वहां से निकालने पर फोकस किया जा रहा है। भारत अभी तक 500 से अधिक भारतीयों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकाल चुका है और यह क्रम लगातार जारी है। ज्ञात हो कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि वह अफगानिस्तान की गतिविधियों पर नजर बनाए हैं और हर तरीके से इसपर चर्चा जारी है। भारत की ओर से अमेरिका और अन्य संबंधित देशों के साथ भी लगातार चर्चा की जा रही है।
ज्ञात हो कि भारत सरकार अभी वेट एंड वॉच के मोड में चल रही है। भारत सरकार किसी भी स्थिति में तालिबान के आतंक के साथ खड़ा नहीं होगी। अफगानिस्तान भारत के लिए काफी अहम है। यहां पर सैकड़ों परियोजनाओं में भारत का अरबों रुपये इनवेस्ट हुआ है। इसके अलावा सामरिक और क्षेत्रीय स्थिति के अनुसार भी अफगानिस्तान का काफी महत्व है। ऐसे में भारत इस विषय पर सोच-समझ कर कदम उठा रहा है।