अफगानिस्तान (Afghanistan) के ताज़ा हालात को लेकर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के बीच बातचीत हुई है. दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान के मसले पर लगातार समन्वय स्थापित करने और बातचीत करने का भरोसा दिया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ‘विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच आज बातचीत हुई. दोनों ने अफगानिस्तान के मसले पर चर्चा की और आगे भी समन्वय बनाकर काम करने का फैसला किया.’
आपको बता दें कि अमेरिकी सेनाओं (American Forces) के अफगानिस्तान से बाहर जाने के बाद से ही तालिबान (Taliban) ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. अब तालिबान जल्द ही अफगानिस्तान में अपनी सरकार बनाने जा रहा है. क्योंकि भारत अफगानिस्तान के पड़ोस में है और भारत का एक बड़ा निवेश यहां पर है, ऐसे में अफगानिस्तान से जुड़े किसी भी मसले में भारत का अहम रोल रहता है. अफगानिस्तान में अचानक बदली स्थिति पर भारत नज़र बनाए हुए है. अफगानिस्तान की घटनाओं से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ रही है, ऐसे में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक समुदाय को उन देशों के पाखंड का विरोध करना चाहिए जो निर्दोषों के खून से हाथ रंगने वाले आतंकवादियों की रक्षा करते हैं.
आतंकवाद से अंतरराष्ट्रीय खतरे पर सुरक्षा परिषद में बोलते हुए उन्होंने दोनों का नाम लिए बिना आतंकवादी समूहों को सहायता प्रदान करने में पाकिस्तान और चीन की भूमिकाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया. एस. जयशंकर ने कहा कि दुर्भाग्य से, कुछ देश ऐसे भी हैं जो आतंकवाद से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं. इसे पारित नहीं होने दिया जा सकता. पाकिस्तान-तालिबान का नाम लिए बिना एस. जयशंकर ने कहा कि जब हम देखते हैं कि निर्दोष लोगों के खून से हाथ रंगने वालों को राजकीय आतिथ्य दिया जा रहा है, तो हमें उनकी दोहरी बात पर टोकने का साहस करने से नहीं चूकना चाहिए. उन्होंने कहा, चाहे वह अफगानिस्तान में हो या भारत के खिलाफ, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे समूह दंड से मुक्ति और प्रोत्साहन दोनों के साथ काम करना जारी रखते हैं.