नेपाल में सर्वोच्च न्यायालय के दखल के बाद रिकॉर्ड पांचवीं बार प्रधानमंत्री के रूप में शेर बहादुर देउबा की नियुक्ति से देश में सियासी स्थिरता अभी दिखाई नहीं दे रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि देउबा को 30 दिनों के भीतर संसद में विश्वास मत हासिल करना होगा। यदि वे विश्वास मत हासिल कर लेते हैं तो 18 माह में नए सिरे से चुनाव कराने होंगे और यदि वे हारते हैं तो देश में छह माह में चुनाव कराने होंगे। ‘काठमांडो पोस्ट’ की खबर के अनुसार, देउबा के पास 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में केवल 61 सीटें हैं और देश को नए पीएम के विश्वास मत जीतने या हारने की किसी भी स्थिति में चुनाव तो कराने ही होंगे। क्योंकि नेपाल की संसद के निचले सदन (प्रतिनिधि सभा) ने अपने पांच साल के कार्यकाल का साढ़े तीन साल से अधिक समय पूरा कर लिया है।
खबर के मुताबिक, देउबा के पीएम नियुक्ति संबंधी अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि उन्हें ‘संविधान के अनुच्छेद 76 (6) के तहत विश्वास मत प्राप्त करने की प्रक्रिया नियुक्त के 30 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी।’ काठमांडो यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ के पूर्व डीन बिपिन अधिकारी ने कहा है कि विश्वास मत देउबा सरकार के भाग्य का फैसला करेगा।
136 मतों की होगी जरूरत
देउबा ने सदन में अपनी 61 सीटों के साथ, चार अन्य दलों के सांसदों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इस तरह 149 सांसदों के समर्थन में यूएमएल के माधव नेपाल गुट के 26 सदस्य भी शामिल हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद माधव नेपाल ने कहा था कि वे अब गठबंधन में नहीं रह सकते हैं। ऐसे में देउबा को 136 वोटों की जरूरत है क्योंकि सदन में फिलहाल केवल 271 सदस्य हैं।