बॉलीवुड की अभिनेत्री सविता बजाज (Savita Bajaj) लगभग 50 से भी ज्यादा फिल्मों में शानदार एक्टिंग कर चुकी हैं। इसमें ‘निशांत’, ‘नजराना’ और ‘बेटा हो तो ऐसा’ जैसी फ़िल्में शामिल हैं। अब शगुफ्ता अली के बाद सविता बजाज आर्थिक तंगी से परेशान हैं। लगातार सविता अस्पतालों में जा रही हैं। अपस्ताल में वो अपना ट्रीटमेंट करा रही हैं। इससे पहले अभिनेत्री कोरोना वायरस का शिकार हुई थीं। तब वो 22 दिन हॉस्पिटल में एडमिट भी रह चुकी हैं। उन्हें एक बार फिर से सांस लेने में समस्या हो रही थी, जिसकी वजह से वह फिर से हॉस्पिटल में एडमिट हुईं।
आपको बता दें कि सविता, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की एल्यूमिनी भी रह चुकी हैं। अभिनेत्री ने बताया, “मेरी बचत खत्म हो चुकी हैं। मैंने अपना पूरा पैसा अस्पताल में इलाज में लगा दिया है। मुझे सांस लेने में बहुत परेशानी होने लगी है। समझ में नहीं आ रहा कि मैं अब कैसे जी पाऊंगी।” उनके पास सिर्फ एक सहारा है, जो सिनटा और राइटर्स असोसिएशन से मिल रहा है। इन्हें सिर्फ ढाई से पांच हजार रुपये मिल रहे हैं। हॉस्पिटल का बिल बहुत ज्यादा होता जा रहा है, ऐसे में अभिनेत्री को चिंता सता रही है कि वह मुंबई जैसे शहर में वह कैसे रह पाएंगे।
सविता ने बताया कि राइटर्स असोसिएशन ने साल 2016 में मेरी एक लाख रुपये से सहायता की थी। उस वक्त मैं एक्सीडेंट के चलते हॉस्पिटल में एडमिट हुई थी। उस समय सिनटा ने भी 50 हजार रुपये दिए थे। अब मैं अपने स्वास्थ्य को देखते हुए काम नहीं कर पा रही। मैं उन्हें यह पैसा वापस करना चाहती हूं। जिसके लिए काम करना चाहती हूं, मगर कैसे करूं। मेरे पास कोई देखभाल करने के लिए भी नहीं है। लगभग 25 साल पहले, मैंने अपने होमटाउन में वापसी करने का फैसला लिया था। दिल्ली भी आई, मगर मेरी फैमिली में मुझे कोई अपनाना नहीं चाह रहा था। मैंने बहुत पैसा कमाया है, मगर आज जब मुझे आवश्यकता पड़ी तो सबने हाथ पीछे खींच लिए।
सविता ने बताया कि सीनियर आर्टिस्ट्स के लिए कोई भी सुविधा नहीं है। जो लोग बीमार चलते काम नहीं कर पा रहे हैं या फिर फिट नहीं है, उन्हें कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। मेरी इच्छा है कि बूढ़े एक्टर्स के लिए एक आश्रम बने, जहां वह रह सकें। मुंबई में इतने साल काम करने के बाद भी मेरा अपना कोई घर नहीं है। मलाड़ में मैं रहती हूं और सात हजार उसका किराया देती हूं।