अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन की पहली विदेश यात्रा ने उनकी सरकार की बाकी दिनों के लिए सोच का खाका खींच दिया। जी 7 शिखर सम्मेलन, नाटो समिट और अंत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात में बाइडन ने स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका अपनी हैसियत से जरा सा भी पीछे हटने नहीं जा रहा। चीन से निपटने के लिए बाइडन ने अमेरिकी नेतृत्व की हामी भर दी तो रूस को भी जता दिया कि वह उसकी मनमानी बर्दाश्त नहीं करने वाले। साथ ही व्लादिमीर पुतिन को बताया कि वह रूस के विरोधी नहीं। दोनों देशों ने संबंधों को पटरी पर लाने की शुरुआत कर दी है। जल्द ही वाबाइडन ने खींची स्पष्ट लकीर, रूस और चीन को दिया ये साफ संदेशशिंगटन और मॉस्को में राजदूतों की वापसी हो जाएगी। परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित रखने के संबंध में नई संधि के लिए और साइबर सिक्युरिटी का फ्रेमवर्क तैयार करने को वार्ता शुरू होगी।
डोनाल्ड ट्रंप के दौर में अलग राह पकड़ा अमेरिका अब वापस अपनी पुरानी राह पर लौट आया है। बाइडन ने यह बात अपने पहले विदेशी दौरे में स्पष्ट कर दी। नाटो समिट के बाद रूसी राष्ट्रपति से वार्ता में बाइडन ने सहयोगी देशों के हित की बात कही। कहा कि सहयोगी देशों के साथ कुछ हुआ तो अमेरिका चुप नहीं बैठेगा। नाटो समिट में कह दिया कि यूरोप की सुरक्षा अमेरिका की पवित्र जिम्मेदारी है। इसी के बाद जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि बाइडन का आना नए अध्याय की शुरुआत है।
रूसी राष्ट्रपति के क्रेमलिन कार्यालय ने वार्ता को सकारात्मक बताया है। कहा कि इससे दुनिया से परमाणु युद्ध का खतरा टला है। दोनों शक्तिशाली देशों के बीच समझ बढ़ी है। दोनों देशों के बीच कई विषयों में सहमति बनी। इनमें परमाणु हथियारों का संख्या सीमित करने, साइबर सिक्युरिटी और राजदूतों की वापसी जैसे मुद्दे हैं। पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, दोनों देश बंदियों की अदला-बदली पर भी राजी हुए हैं। इसके लिए गोपनीय और शांति से वार्ता आगे बढ़नी चाहिए।