भगवान शनिदेव को कर्मों का देवता माना गया है। शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के रखने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं साथ ही उनकी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। इसके अलावा शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए भी शनिवार का व्रत रखना चाहिए और शनि देव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। शनिदेव का व्रत रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है।
व्रत रखने के लिए करें नियम:
# व्रत रखने के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करना चाहिए।
# शनि देवता की लोहे की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। इसके अलावा शनिदेव की प्रतिमा को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित किया जाना चाहिए।
# शनिदेव की पूजा में काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र और तेल अवश्य सम्मिलित किया जाना चाहिए।
# इस दौरान शनिदेव के इन 10 नामों का उच्चारण अवश्य करें। ये नाम इस तरह है- कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर।
# शनिदेव के पूजन के पश्चात् पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।