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आंखों की रोशनी जाने के साथ ही जबड़े व नाक की हड्डी गला दे रहा है ब्लैक फंगस, इन 10 राज्यों में मचाई तबाही

कोरोना के कोहराम के बीच देश में म्यूकोरमाइसिस, ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता जा रहा है। इस बीमारी में रोगियों की आंखों की रोशनी जाने और जबड़े व नाक की हड्डी गलने का खतरा रहता बढ़ गया है। इस फंगस के पीड़ित को सीधे आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है। गुजरात के साथ ही महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में ब्लैक फंगस के मरीज तेजी से आ रहे हैं। कोरोना से पहले अगर किसी तरह की कोई गंभीर बीमारी है तो उनमें ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है। कोविड-19 के उपचार में स्टेरॉयड का उपयोग इसी बात को ध्यान में रखकर किया जाता है कि कई कोरोनो वायरस के मरीजों को डायबिटीज होता है। डायबिटीज की शिकायत वाले मरीजों में ब्लैक फंगस की समस्या ज्यदा मिल रही है। गुजरात में ब्लैक फंगस के मामले सबसे ज्यादा आ रहे हैं। राज्य सरकार ने इसके लिए अस्पतालों में अलग वार्ड तक बनाने शुरू कर दिए हैं। सरकार ने इसके इलाज में काम आने वाली दवा की 5,000 शीशियां भी खरीद ली है। गुजरात में अब तक ब्लैक फंगस के 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।

महाराष्ट्र में भी ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोप ने बताया कि राज्य में अब तक दो हजार से ज्यादा ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं। राजस्थान में ब्लैक फंगस के 14 मामले सामने आए हैं। ब्लैक फंगस से संक्रमित कई मरीजों की आंख तक जा चुकी है। मध्यप्रदेश में भी ब्लैक फंगस से अब तक दो लोगों की जान जा चुकी है और 50 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। तेलंगाना के हैदराबाद में ब्लैक फंगस के 60 के करीब मामले सामने आ चुके हैं। बेंगलुरु के ट्रस्ट वेल हॉस्पिटल ने बताया कि पिछले दो हफ्तों से यहां पर ब्लैक फंगस के 38 मामले सामने आए हैं।

तरनाक फंगल संक्रमण है म्यूकोरमाइसिस
इसे जायगोमायकोसिस के नाम से भी जाना जाता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन के मुताबिक यह एक दुर्लभ लेकिन खतरनाक फंगल इन्फेक्शन है जो म्यूकोरमाइसेट्स नाम के फफूंद यानि मोल्ड या फंगस के समूह की वजह से होता है। हवा में मौजूद ये फंगल स्पोर्स यानि फफूंद बीजाणु सांस के जरिए हमारे फेफड़ों और साइनस में पहुंच कर उन पर असर डालते हैं। सर गंगाराम अस्पताल के ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजय स्वरूप के मुताबिक कोविड -19 के मरीज जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें ब्लैक फंगल म्यूकोरमाइकोसिन बीमारी से ज्यादा खतरा होता है।