पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा पर चल रहे गतिरोध को लेकर कोर कमांडर लेवल की बातचीत का आठवां चरण शुक्रवार सुबह 9.30 बजे से शुरू हो गया है। आठवें दौर की यह बातचीत लद्दाख के चुशूल में हो रही है। वार्ता के बीच देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने पड़ोसी देश चीन क कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि हमें एलएसी पर किसी भी तरह का बदलाव मंजूर नहीं है। आठवें दौर की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं, जिन्हें हाल ही में लेह की 14वीं कोर का कमांडर नियुक्त किया गया था।
जानकारी है कि इस चरण में भारत ने चीन के सामने एक बार फिर यथास्थिति को बरकरार रखने की मांग दोहराई है। भारत की मांग है कि चीन अपने सैनिकों को मई के पहले हफ्ते से पहले वाली जगह पर ले जाए। वहीं चीन का कहना है कि भारत पहले पेंगोंग लेक के दक्षिणी इलाके से हटे। बताते चलें कि इससे पहले सातवें दौर की सैन्य वार्ता 12 अक्तूबर को हुई थी। इसमें पूर्वी लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से सैनिकों के पीछे हटने पर कोई नतीजा नहीं निकला था।
वहीं दूसरी तरफ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत ने इस बात पर जोर दिया है कि भारतीय सेना को अपने हथियार और अन्य जरूरतों के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सैन्य जरूरतों के लिए लगातार प्रतिबंधों के खतरे से बाहर निकलना होगा। CDS ने शुक्रवार को नेशनल डिफेंस कॉलेज द्वारा आयोजित डायमंड जुबली वेबिनार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने LAC का भी जिक्र किया।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा, ‘पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच वास्तविक सीमा रेखा (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। भारतीय बलों की प्रतिक्रिया के चलते चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को लद्दाख में अपने दुस्साहस के लिए ‘अप्रत्याशित परिणामों’ का सामना करना पड़ा। हमारी पोजीशन पर कोई सवाल नहीं है। हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं करेंगे।’ पूर्व सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि बालाकोट और सर्जिकल स्ट्राइक से हमने पाकिस्तान को एक मजबूत संदेश दिया है।
आधिकरिक सूत्रों ने बताया कि बैठक शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय क्षेत्र की तरफ चुशूल में होगी। पूर्वी लद्दाख में हाड़ जमा देने वाली सर्दी में भारत के लगभग 50,000 सैनिक किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्वतीय ऊंचाइयों पर तैनात हैं। 6 महीने से चले आ रहे इस गतिरोध को लेकर दोनों देशों के बीच पूर्व में हुई कई दौर की बातचीत का अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है।
अधिकारियों के अनुसार चीनी सेना ने भी लगभग 50,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं। भारत कहता रहा है कि सैनिकों को हटाने और तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन की है।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल में कहा था कि भारत और चीन के बीच गंभीर तनाव है और सीमा प्रबंधन को लेकर दोनों पक्षों द्वारा समझौतों का सम्मान किया जाना चाहिए।
पिछले दौर की वार्ता के बाद दोनों सेनाओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि दोनों पक्ष सैन्य एवं कूटनीतिक माध्यमों से वार्ता तथा संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए हैं जिससे कि ‘जल्द से जल्द’ पारस्परिक रूप से सहमति वाले समाधान पर पहुंचा जा सके।
छठे दौर की सैन्य वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चे पर और सैनिक न भेजने, जमीन पर स्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने से बचने और स्थिति को बिगाड़ने वाली कोई कार्रवाई न करने जैसे कुछ कदमों की घोषणा की थी।
पिछले दौर की बातचीत के बाद दोनों देशों की सेनाओं की ओर से जारी किए गए संयुक्त प्रेस वक्तव्य में कहा गया था कि दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक माध्यमों से संवाद कायम रखने पर सहमत हुए हैं। ताकि, गतिरोध को खत्म करने के लिए जल्द से जल्द कोई साझा स्वीकार्य समाधान निकाला जा सके।
वहीं, सैन्य वार्ता के छठे चरण की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने कुछ फैसलों की घोषणा की थी। इसके तहत अग्रिम मोर्चे पर और सैनिकों को नहीं भेजने, एकतरफा तरीके से जमीनी हालात बदलने से परहेज करने और हालात को जटिल बनाने वाली किसी भी कार्रवाई से परहेज की बात कही गई थी।