बिहार विधानसभा चुनाव के बीच रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan) के निधन से ना सिर्फ चिराग पासवान को झटका लगा है. बल्कि उनके कंधों पर लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की पूरी जिम्मेदारी आ गई है. पिता के जाने के बाद से चिराग पासवान को हर कदम बहुत सोच-समझकर उठाना पड़ रहा है जिससे उन्हें चुनाव में किसी तरह का नुकसान ना हो. फिर चाहे वो गठबंधन की बात हो या उम्मीदवारों की. चिराग पासवान हर काम बहुत ही संभलकर रहे हैं. हाल ही में चिराग पासवान ने अपनी सौतेली मां से मुलाकात की और साथ ही उन्होंने अपने जीजा को भी चुनाव लड़ने के लिए टिकट थमाया है.
चिराग पासवान ने खेला दांव
चिराग पासवान के पिता ने दो शादियां की थी और जो चिराग पासवान की सौतेली मां हैं उनसे उन्हें दो बहनें भी है. बड़ी बहन और जीजा खुलकर एलजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं.साथ ही धरना दे चुके हैं. ऐसे में चिराग ने अपने छोटे जीजा मृणाल पासवान पर चुनावी दांव खेलते हुए राजापाकर विधानसभा सीट से एलजेपी का उम्मीदवार बनाकर चुनावी रण में उतारा है.
सौतेली बहन के पति हैं छोटे जीजा
एलजेपी उम्मीदवार और चिराग के जीजा मृणाल, चिराग पासवान की सौतेली बहन ऊषा के पति हैं और दरभंगा के रहने वाले हैं. उनका ननिहाल कुशेश्वरस्थान हैं और यहां से दो बार उनकी मौसी विधायक पद पर रह चुकी हैं.
बड़े दामाद ने खोला ससुर के खिलाफ मोर्चा
रामविलास पासवान की पहली पत्नी का नाम राजकुमारी देवी हैं और उन्होंने रामविलास से अलग होने के बाद दूसरी शादी नहीं की. राजकुमारी और रामविलास की दो बेटियां आशा और उषा हैं. बड़ी बेटी की शादी राजद नेता अनिल साधू से हुई है.वैसे तो अनिल एक समय में एलजेपी में ही थी लेकिन बाद में उन्होंने ससुर के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए राजद का हाथ थाम लिया. एलजेपी से अलग होने के बाद अनिल ने अपने ससुर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपनी पहली पत्नी के बच्चों के साथ भेदभाव किया.
चिराग पासवान को दी हर सुविधा
अनिल साधू का कहना था कि, रामविलास ने अपने बेटे चिराग पासवान को हर सुविधा दी लेकिन अपनी पहली पत्नी के बच्चों को गांव में ही रखा और सारी सुविधाओं से वंचित रखा. उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को उनके हक का प्यार नहीं दिया. वहीं रामविलास की बड़ी बेटी आशा ने भी अपने पिता के खिलाफ बोला था.आशा ने कहा था कि, उनकी मां राजकुमारी देवी अनपढ़ थीं शायद इसलिए पिता ने उन्हें छोड़ दिया. बड़ी बेटी और दामाद के अलावा जो छोटी बेटी है वह हमेशा से एलजेपी के साथ रही. उषा ने कभी अपने पिता के खिलाफ नहीं बोला और अब भाई चिराग ने उन्हीं के पति पर दांव खेला है.