भारत और चीन (tension india china) के बीच चरम पर पहुंचा तनाव पिछले दो महिने से अपनी स्थिति बदलने के मूड में नजर नहीं आ रहा है। दोनों ही मुल्कों के बीच जारी तनाव अभी तक जारी है। तमाम वार्ताओं के बावजूद कहीं से कोई सकारात्मक संकेत दिखते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। गत 15 जून को गलवान घाटी (Galwan wally) में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत के लिए चीन पर भरोसा मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन बन चुका है। बावजूद इसके चीन लगातार भारत से वार्ता की पेशकश कर रहा है। मगर भारत के समक्ष यह पता लगाने की चुनौती है कि आखिर उसकी इस पेशकश में कितनी सच्चाई है। बहरहाल, उसके हालिया रूख को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वो बातचीत के बहाने महज अपने नापाक मंसूबों को पाल रहा है। ऐसी स्थिति मे चीन पर भरोसा रखना संभंव नहीं होगा।
वहीं अब गलवान के बाद चीन अन्य हिस्सों में भी अपने सैनिकों की तैनाती में इजाफा कर रहा है, जिसको मद्देनजर रखते हुए भारत के लिए चीन पर भरोसा रखना मुश्किल है। बीते दिनों बार्डर की तस्वीर भी सामने आई थी, जिसमे चीन देपसांग सहित अन्य इलाकों में भी अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा रहा है, जो कि फिलहाल भारत के लिए चिंता का सबब है। ऐसी स्थिति में भारत को कड़े फैसले लेने से कोई गुरेज नहीं रह गया है। इंडियन एक्सप्रेस के अखबार के मुताबिक सरकार केे एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि अब चीन को माकूल जवाब देने के लिए भारतीय सेना को खुली छूट दे दी गई है, ताकि चीन की हर नापाक करतूत को उसका मुंहतोड़ जवाब दे सके।
बेनतीजा रहा वार्ता का सिलसिला
दोनों ही मुल्कों के बीच जारी तनाव को मद्देनजर रखते हुए सर्वप्रथम इसे वार्ता से सुलझाने पर जोर दिया गया था। मगर गलवान घाटी में चीन ने हिंसक रूख अख्तियार कर अंतरराष्ट्रीय संधियों की धज्जियां उड़ाने से कोई परहेज नहीं किया तो अब भारत ने भी मन बना लिया है चीन को उसकी हिमाकत का माकूल जवाब दिया जाएगा। हालांकि भारत ने भी इस मसले को वार्ता की सेतु पर सवार होकर सुलझाने का प्रयास किया था…भारत ने इस दिशा में पहल की, मगर चीन ने हिंसक रूख अख्तियात किया तो भारत को कड़े कदम उठाने पर बाध्य होना पड़ रहा है। लिहाजा अब भारतीय सेना को खुली छूट मिल चुकी है।
इसके साथ ही भारत ने भी साफ कर दिया है कि वो अपने रूख से टम से मस नहीं होने वाला है। यदि चीन इस विवाद पर विराम देने को इच्छुक है तो उसे सर्वप्रथम भारतीय सीमा पर अतिक्रमण को रोकना होगा। वहीं रूस दौरे पर गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख एमएम नरवणे से मुलाकात की है।