कोरोना महामारी के चलते जहां लॉकडाउन का चरण बढ़ता जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ इससे प्रवासी मजदूरों के हालात भी बिगड़ते जा रहे हैं. सरकार कई बार इस बात का दावा कर चुकी है, कि मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई गई है, लेकिन अभी भी तकरीबन मजदूर पैदल जाने को मजबूर हैं. प्रवासी मजदूरों को लेकर उलझने और बढ़ती जा रही हैं. इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) लगातार मजदूरों के कंधे पर बंदूक रखकर केंद्र पर लगातार निशाना साध रही हैं. अभी तक प्रवासी मजदूरों की अनदेखी करने को लेकर केंद्र पर बयानबाजी करती रही हैं. लेकिन दूसरों को फंसाने वाली ममता बनर्जी इस समय खुद मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के जाल में फंस चुकी हैं.
दरअसल शिवराज सिंह चौहान ने ममता बनर्जी की ही भाषा में ऐसा काम किया है, जिससे उनकी रातों की नींद भी उड़ चुकी है. साथ ही ममता बनर्जी की परेशानियां और बढ़ गई हैं. फिलहाल अब सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर अब ममता बनर्जी कौन सा रास्ता चुनने वाली हैं?अक्सर ममता बनर्जी सियासत करने को लेकर हमेशा चर्चाओं में रही हैं. कई बार इस वजह से लोगों को भड़काने का भी आरोप उन पर लगता रहा है.
एक चिट्ठी ने ममता बनर्जी की उड़ा दी नींद
जानकारी के मुताबिक सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर भेजी गई है. जिसमें शिवराज सिंह चौहान की तरफ से ममता बनर्जी से ये अपील की गई है कि, वो इस समय अपने राज्य के इंदौर में फंसे मजदूरों को वापस ले जाने के लिए कोई उपाय करें. इतना ही नहीं चिट्ठी में शिवराज सिंह ने ये भी लिखा है कि इंदौर में बंगाल के कई अलग-अलग शहरों मजदूर फंस गए हैं, और ये सभी वापस अपने राज्य जाने की मांग कर रहे हैं.उन्होंने ये भी लिखा है कि इंदौर से इन प्रवासी मजदूरों के घर तक का सफर काफी लंबा है, लेकिन कुछ लोग तो निजी वाहन से जाने की तैयारी भी कर रहे थे, लेकिन इसका सफर काफी महंगा है, इसलिए रेल मंत्रालय से इसके बारे में आप (ममता बनर्जी) बात करें. ताकि ट्रेन के जरिए ये मजदू अपने घर पहुंच सकें.
आपको बता दें कि पीएम मीटिंग के बाद भी ममता बनर्जी कई बार ये आरोप लगा चुकी हैं कि केंद्र सरकार गैर-बीजेपी शासित राज्यों के साथ भेदभाव कर रहा है. इन्हीं वजहों से उनका लिए रेल मंत्रालय से इंदौर टू पश्चिम बंगाल के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग करना थोड़ा मुश्किल दिखाई दे रहा है.ऐसे में यदि ममता बनर्जी शिवराज सिंह के इस पत्र को दरकिनार करती हैं, तो उन पर भी कई आरोप के गुंबार फूट सकते हैं. फिलहाल अब देखना ये है कि आखिर ममता बनर्जी शिवराज सिंह चौहान की इस चिट्ठी पर कितना अमल करती हैं.