संजय गांधी पीजीआई में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस लैब की स्थापना होगी। प्रदेश के किसी भी चिकित्सा संस्थान में स्थापित होने वाली यह पहली आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस लैब होगी। इसका प्रस्ताव एकेडमिक काउंसिल से पास हो गया है। संस्थान के सभी विभाग कोर लैब की तरह इसका इस्तेमाल कर सकेंगे।
पीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने बताया कि चिकित्सा के क्षेत्र में एआई का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसमें असीम संभावनाएं हैं। इसको देखते हुए इस लैब की स्थापना की जा रही है। सर्जरी के साथ ही पैथोलाॅजी और अन्य जांच में एआई की काफी उपयोगिता है। इसकी और संभावनाएं तलाशने के लिए संस्थान में एआई लैब स्थापित की जा रही है। निदेशक के मुताबिक, संस्थान को एआई हब के रूप में विकसित किया जाएगा। तकनीक का समावेश करके चिकित्सा और भी प्रभावी हो जाएगी। इसके साथ ही इस क्षेत्र में नवाचार की तलाश भी हो सकेगी।
केजीएमयू ने शुरू की है पढ़ाई
पीजीआई में चिकित्सा संस्थान की पहली एआई लैब स्थापित हो रही है। वहीं, केजीएमयू ने भविष्य में चिकित्सा के क्षेत्र में इसकी उपयोगिता देखते हुए इसे अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है। इसके तहत न्यूरोलाॅजी, पैथोलाॅजी और फाॅरेंसिक विभाग में एआई के प्रश्नपत्र जोड़े गए हैं।
चोट का आकलन करने में भी उपयोगी है एआई
केजीएमयू, लोहिया और सहारनपुर के एसएमएनएच मेडिकल कॉलेज के साझा अध्ययन के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) गंभीर घायलों की जान बचाने में भी अहम साबित हो सकता है। एआई का इस्तेमाल चोट और चोट की गंभीरता का आकलन करने में किया जा सकता है। इस अध्ययन के निष्कर्ष जर्नल ऑफ फॉरेंसिक साइंस एंड मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं।
पीजीआई बनेगा हब
पीजीआई को एआई आधारित चिकित्सा का हब बनाया जाएगा। इसके लिए कोर लैब की तरह एआई लैब स्थापित की जा रही है। अपनी तरह की यह प्रदेश की पहली लैब होगी।- प्रो. आरके धीमन, निदेशक, संजय गांधी पीजीआई