पहलगाम आतंकवादी अटैक और भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए) की एक रिपोर्ट सामने आई है। US इंटेल रिपोर्ट के मुताबिक भारत चीन को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानता है।
अमेरिकी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत पाकिस्तान को दूसरी सुरक्षा चिंता के रूप में देखता है, जिसे प्रबंधित करने की अत्यधिक आवश्यकता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पीएम नरेंद्र मोदी देश की सैन्य जरूरतों के बल पर एक वैश्विक नेता के तौर पर अपने को देखते हैं, जो चीन का पूरी तरह से मुकाबला कर सकता है। जारी की गई रिपोर्ट में 22 अप्रैल की पहलगाम आतंकी हमले और भारत और पाकिस्तान के मिलिट्री टकराव के बारे में भी बताया गया है।
‘म्यांमार, पाकिस्तान और श्रीलंका में सैन्य ठिकाने बनाने की मंशा में है चीन’
एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) म्यांमार, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में सैन्य ठिकाने स्थापित करने की योजना बना रही है। यदि ऐसा होता है, तो यह भारत के लिए गंभीर सामरिक खतरा पैदा कर सकता है, क्योंकि ये देश भारत की समुद्री और थल सीमाओं के करीब हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, यह चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत चीन हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने का इरादा रखता है। इससे भारत की सुरक्षा स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2024 के मध्य में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच सीमा पर गोलीबारी और हमलों के बावजूद, भारत की रणनीतिक सोच में चीन को प्राथमिक खतरे के रूप में प्राथमिकता दी जा रही है।
‘अनसुलझा सीमा विवाद’
अमेरिकी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अक्तूबर 2024 के अंत में भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के दो विवादित क्षेत्रों से अपनी सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति जताई। हालांकि, यह सीमावर्ती तनाव को कुछ हद तक कम करता है, लेकिन सीमा विवाद अभी भी अनसुलझा बना हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अपने नाकाम इरोदों को बढ़ावा देने के लिए तेजी से अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है और भारत को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है। यह रणनीति पाकिस्तान की सैन्य सोच और सीमा पर उसकी आक्रामकता को दर्शाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान मुख्य रूप से चीन की आर्थिक और सैन्य सहायता पर निर्भर है।