पाकिस्तान, जो लंबे समय से आतंकवाद को पनाह देने के आरोपों का सामना करता रहा है, अब खुद अपने पाले हुए सांपों का दंश झेल रहा है। बलूचिस्तान के खुजदार में जीरो पॉइंट के पास कराची-क्वेटा राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाकिस्तानी सेना के एक काफिले को निशाना बनाकर किए गए भीषण आतंकी हमले में कम से कम 32 सैनिकों की मौत हो गई है और दर्जनों अन्य घायल हो गए हैं। यह हमला एक शक्तिशाली वाहन-आधारित इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (VBIED) के जरिए किया गया।
सूत्रों के अनुसार, हमलावरों ने विस्फोटक एक खड़ी कार में लगाया था। जैसे ही सेना का काफिला, जिसमें लगभग 8 वाहन शामिल थे, पास से गुजरा, उसमें विस्फोट कर दिया गया। इस धमाके की चपेट में सीधे तौर पर तीन वाहन आ गए, जिनमें एक बस भी शामिल थी, जिसमें कथित तौर पर सैन्य कर्मियों के परिवार यात्रा कर रहे थे। धमाका इतना शक्तिशाली था कि वाहनों के परखच्चे उड़ गए और दूर तक धुएं का गुबार छा गया।
पहले पाकिस्तान के दूर-दराज के इलाकों से ही आतंकी घटनाओं की खबरें आती थीं, लेकिन अब यह सिलसिला बड़े शहरों तक पहुंच गया है। हाल के दिनों में पेशावर से लेकर कराची तक कई बड़े हमले हुए हैं, जिससे देश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। विश्लेषकों का मानना है कि जिन आतंकी गुटों को कभी पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त था, वे अब उसी के लिए भस्मासुर साबित हो रहे हैं।
इस बड़े हमले के बाद पाकिस्तानी अधिकारी कथित तौर पर अपनी सुरक्षा चूक को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। आंतरिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अधिकारी इस घटना को एक स्कूल बस पर हुए हमले के रूप में चित्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि सेना पर हुए सीधे हमले की गंभीरता को कम किया जा सके और अपनी नाकामी पर पर्दा डाला जा सके।
इससे पहले इसी कराची-क्वेटा राजमार्ग पर 21 मई को भी एक आतंकी हमला हुआ था। उस समय, आतंकवादियों ने खुजदार कस्बे के पास आर्मी पब्लिक स्कूल की एक बस को निशाना बनाया था, जिसमें ड्राइवर सहित पांच बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इन लगातार हो रही घटनाओं ने पाकिस्तान की आम जनता, विशेषकर बलूचिस्तान के निवासियों में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। सरकार और सेना इन हमलों को रोकने में अब तक नाकाम साबित हुई है, जिससे लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।