‘रेवड़ी कल्चर’ पर बुधवार को फिर सुनवाई होगी। मंगलवार को करीब 45 मिनट बहस हुई थी। इस मामले पर खुद सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। इसमें जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं। राजनीतिक पार्टियों के मुफ्त वादों के खिलाफ एक याचिका लगाई गई है।
लंबी बहस का मुद्दा है
मंगलवार को हुई बहस के दौरान वकील विकास सिंह ने कहा कि मुफ्त के वादों से देश देवालिया होने के कगार पर है। हालांकि CJI रमना ने तर्क दिया कि मानो कोई वादा कर दूं कि चुनाव जीतने पर लोगों को सिंगापुर भेज दूंगा। तो चुनाव आयोग इस पर कैसे रोक लगा सकता है? सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल न्याय मित्र के तौर पर, जबकि अभिषेक मनु सिंघवी आम आदमी पार्टी और विकास सिंह याचिकाकर्ता के वकील के तौर पर पेश हुए थे। 17 अगस्त को सुनवाई के दौरान बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसी भी राजनीतिक दलों को चुनावी वादे करने से नहीं रोका जा सकता है। हां, फ्री और असल कल्याणकारी योजनाओं में अंतर समझना जरूरी है।
PM मोदी के बयान के बाद मुद्दा गर्माया हुआ है
16 जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण करते हुए कहा था-“रेवड़ी कल्चर से देश के लोगों को बहुत सावधान रहना है। हमारे देश में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश हो रही है। ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है।”
मोदी के इस बयान पर विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल रखा है। AAP कार्यकओं ने मोदी के बयान के तत्काल बाद पूरे गुजरात में प्रदर्शन किया था। AAP ने 200 यूनिट तक बिजली बिल माफी जैसी मुफ्त या अत्यधिक सब्सिडी वाली सेवाओं के दिल्ली मॉडल को प्रदर्शित करके चुनावी अभियान गुजरात में अपने चुनावी अभियान को आधार बनाया है। इसलिए वो मोदी के बयान पर आपत्ति जता रही है।