महाराष्ट, बिहार के बाद अब झारखण्ड में सियासी पारा (political mercury) चढ़ने लगा है। यहां चल रही हेमंत सोरेन की गठबंधन की सरकार भी संकट में चल रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) की अध्यक्षता में शनिवार को महागठबंधन विधायकों (Grand Alliance MLAs) की बैठक में निर्णय लिया गया कि सत्तापक्ष हर परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए एकजुट और तैयार है। सभी विधायक और कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर हेमंत सरकार को अस्थिर करने की भाजपा की साजिश का पर्दाफाश करेंगे। झारखंड के प्रति केंद्र के रवैये को भी बताया जाएगा। हालांकि इस बैठक में 11 विधायक नहीं पहुंचे। जिसमें कांग्रेस विधायक भी शामिल हैं। इससे राज्य का सियासी तापमान बढ़ने के आसार हैं।
बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम का कहना है कि सभी विधायक एकमत हैं कि भाजपा के सपने को पूरा नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हम सभी एकजुट हैं। सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। इससे पहले बैठक में निर्णय लिया गया कि ग्रामसभा कर सरकार की योजनाओं को हर व्यक्ति तक पहुंचाया जाएगा। सभी विधायक क्षेत्र की समस्याएं सीधे मुख्यमंत्री तक एक विशेष मोबाइल नंबर के जरिये पहुंचा सकेंगे।
महागठबंधन विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री ने झारखंड में भीषण सूखे की स्थिति पर गहन चर्चा की। कृषि मंत्री बादल ने कहा कि जल्द ही सुखाड़ की स्थिति का जायजा लेने के लिये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अल्पवृष्टि से अधिक प्रभावित इलाकों पलामू, गढ़वा का हवाई सर्वेक्षण करेंगे।
सुखाड़ प्रभावित प्रखंडों के किसानों को जल्द राहत देने के लिए युद्धस्तर पर काम होगा। वहीं बैठक में निर्णय लिया गया कि ग्रामसभा करके हेमंत सरकार की विकास और समाज कल्याण योजनाओं को भी हर व्यक्ति तक पहुंचाया जाएगा। राज्य के सभी विधायक क्षेत्र की समस्याएं सीधे मुख्यमंत्री तक एक विशेष मोबाइल नंबर के जरिये पहुंचा सकेंगे।
बताया जा रहा है कि सत्तारूढ़ महागठबंधन की ओर से शनिवार को बुलाई गई बैठक में कांग्रेस और झामुमो के कुल 11 विधायक बैठक में उपस्थित नहीं हो सके। इनमें से भूषण बाड़ा की फ्लाइट रांची में खराब मौसम के कारण नहीं पहुंच सकी। पूर्णिमा नीरज सिंह बाहर होने के कारण बैठक में नहीं आई। ममता देवी स्वास्थ्य कारणों से और शिल्पी नेहा तिर्की कांग्रेस के आला नेताओं के साथ दिल्ली में मुलाकात के कारण उपस्थित नहीं हो सकीं।