भाजपा (BJP) की कुशल रणनीति (efficient strategy) के चलते लगातार चुनाव हार रही समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने अब सबक लेकर संगठन को मजबूत (strengthen the organization) करने की कवायद शुरू की है। फेल हो रही रणनीति में सुधार के मद्देनज़र आंतरिक व बाहरी चुनौतियों से जूझ रही समाजवादी पार्टी अब पहले संगठन में व्यापक बदलाव करने जा रही है। इससे पहले पार्टी के बागी व भितरघात करने वालों को बाहर किया जाएगा। वहीं दूसरे दलों से आए लोगों को संगठन में समायोजन किया जाएगा।
भितरघातियों को बाहर करेगी पार्टी
सपा ने हार के कारणों की समीक्षा में पाया कि कई जगह बागियों व भितरघातियों की वजह से उसे हार का सामना करना पड़ा। कई नेता टिकट न मिलने पर निष्क्रिय होकर बैठ गए। ऐसे लोगों की पहचान कर ली गई है। ये सब बाहर होंगे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को भी अहसास है कि विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में बाहरियों को ज्यादा तवज्जो देने से कई जगह अपने लोगों की उपेक्षा हो गई। इसलिए अब ऐसे समर्पित लोगों का समायोजन किया जाएगा।
दूसरे दलों से आए लोगों का होगा समायोजन
साथ ही कुछ समय से विभिन्न दलों से आए पिछड़े व दलित वर्ग के कई नेताओं को भी संगठन में जिम्मेदारी दी जाएगी। दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव संगठन को मजबूत कर नए सिरे से कार्यकर्ताओं में जोश भरना चाहते हैं। असल में वैसे तो सपा अपने पूरे संगठन भंग करने का काम पहले ही करना चाहती थी लेकिन विधानसभा चुनाव में हार के बाद उसने यह काम नहीं किया। उसे आशंका थी कि संगठन को भंग करने को चुनावी हार से जोड़ा जाएगा। इसके बाद उसने राज्यसभा चुनाव, विधान परिषद चुनाव और आजमगढ़ व रामपुर लोकसभा उपचुनाव होने का इंतजार किया।
जल्द होगा पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन
सपा इस साल अगस्त या सितंबर में राष्ट्रीय सम्मेलन करेगी। इसमें अखिलेश यादव को पुन: अध्यक्ष चुना जाएगा। इससे पहले सपा सदस्यता अभियान के तहत पहले सदस्य बनाएगी। पचास सदस्य बनाने वाले को सक्रिय सदस्य बनाया जाएगा। इनका कार्यकाल पांच साल का होता है। इनमें पहले डेलीगेटस चुने जाएंगे। इनके जरिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी गठन होगा। वर्ष 2017 में आगरा में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव को विधिवत राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था।
इसके बाद लखनऊ में हुए राज्य अधिवेशन में नरेश उत्तम की अध्यक्षी पर मुहर लगी थी। इस बीच लोकसभा व विधानसभा के चुनाव निपट गए लेकिन प्रदेश कमेटी का पुनर्गठन नहीं हो पाया। जिला अध्यक्ष जरूर बदलते रहे।
सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व एमएलसी उदयवीर सिंह कहते हैं-संगठन भंग करने का निर्णय चुनावी नतीजों से नहीं जुड़ा है। यह काम पहले से ही होना था ताकि बदलते वक्त के साथ नए सिरे से इसका गठन किया जा सके और अब विभिन्न वर्गों के लोगों का समायोजन कर संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू हो गई है।
नरेश उत्तम की जिम्मेदारी फिलहाल बरकरार
सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर अखिलेश यादव ने गैरयादव के रूप में कुर्मी बिरादरी के नरेश उत्तम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। तब से वह ही अध्यक्ष चले आ रहे हैं। इस बार उन्हें संगठन की गतिविधियों को पूरा कराना है। इसलिए उन्हें बरकरार रखा गया है। माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष की बागड़ोर किसी और गैर-यादव पिछड़े वर्ग के नेता को सौंपी जा सकती है और नरेश उत्तम को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह दी जा सकती है।