चीन (China) में भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत (Indian Ambassador Pradeep Kumar Rawat) ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit) से पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी (Foreign Minister Wang Yi) से मुलाकात की और सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने की गंभीरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, एशिया व दुनिया के नजरिये से दोनों देशों के बीच सीमा क्षेत्रों में शांति स्थापित करना बेहद जरूरी है। रावत ने मार्च में चीन में भारतीय राजदूत का पदभार संभाला है।
रावत ने बुधवार को डियाओयुताई स्टेट गेस्ट हाउस में चीनी विदेश मंत्री के साथ शिष्टाचार भेंट की। पद संभालने के बाद विदेश मंत्री के साथ उनकी पहली मुलाकात थी। रावत और वांग के बीच द्विपक्षीय एवं बहुआयामी मुद्दों पर चर्चा हुई। वांग यी ने कहा, दोनों देशों के नेतृत्व के बीच उच्चतम स्तर पर, एशिया और दुनिया के लिए द्विपक्षीय संबंधों के महत्व पर सहमति है।
रावत ने भी इस पर सहमति जताई साथ ही इसे पूरी क्षमता से साकार करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और शांति बनाए रखने की गंभीरता पर बल दिया। दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के बीच रावत व वांग की मुलाकात महत्वपूर्ण है।
सीमा पर शांति बहाल करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की बातचीत जारी है। इसके परिणाम स्वरूप ही दोनों देशों ने पेंगॉन्ग झील के उत्तर व दक्षिण और गोगरा इलाके से पूरी तरह सेनाएं हटा ली है। बातचीत के दौरान वांग ने मार्च में विदेश मंत्री जयशंकर के साथ बातचीत का जिक्र किया।
भारत के साझा हित मतभेदों से कहीं अधिक अहम : वांग
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रावत से कहा, भारत के साथ साझा हित हमारे मतभेदों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। दोनों पक्षों को एक-दूसरे को कमजोर करने के बजाय समर्थन देना चाहिए, एक-दूसरे के खिलाफ सुरक्षा के बजाय सहयोग को मजबूत करना चाहिए। आपसी विश्वास को बढ़ाना चाहिए। दोनों पक्षों को एक-दूसरे से मिलना चाहिए ताकि द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द स्थिर और स्वस्थ विकास की पटरी पर लाया जा सके।
दोनों देश मिलकर वैश्विक चुनौतियों का सामना करें। अपने व अन्य विकासशील देशों के साझा हितों की सुरक्षा करें। उन्होंने दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण रणनीतिक सहमति का पालन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, चीन और भारत को सांस्कृतिक आदान-प्रदान में अपने पारंपरिक लाभों पर भी ध्यान देना चाहिए।
मेडिकल छात्रों की वापसी व सीधी उड़ान पर भारत-चीन ने की वार्ता
कोरोना महामारी को लेकर चीन प्रतिबंध के कारण दो सालों से अपने घरों में फंसे हजारों भारतीय छात्रों की वापसी को लेकर भारत और चीन ने बातचीत की। साथ ही कोरोना के कारण बाधित सीधी उड़ान सेवा को फिर से शुरू करने पर भी विचार-विमर्श हुआ। चीन में हजारों छात्र पढ़ाई कर रहे हैं और उनमें ज्यादातर मेडिकल के छात्र हैं।
यात्रा प्रतिबंध के कारण उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई है। चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की वार्ता में सबसे जटिल मुद्दा भारतीय छात्रों की वापसी का रहा। वांग ने उम्मीद जताई कि इस मुद्दे पर जल्द प्रगति होगी। चीनी विदेश मंत्री ने चीन से भारत की सीधी उड़ान को फिर से बहाल करने पर भी बात की।
भारत-ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन सबसे बड़ी सुरक्षा चिंता : मार्लेस
ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री रिचर्ड मार्लेस ने कहा, चीन आक्रामकता के सहारे पड़ोसी सीमाओं को कब्जाने में जुटा है। चाहें पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर दो साल पहले की स्थिति हो या दक्षिण चीन सागर की चालबाजी। चीन नियमों को ताक पर रखकर अपनी ताकत दिखाकर भय पैदा करने और जमीन हथियाने की रणनीति पर चल रहा है। मार्लेस चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं। मार्लेस ने कहा, ऑस्ट्रेलिया और भारत के लिए चीन ‘सबसे बड़ी सुरक्षा चिंता’ है क्योंकि वह हमारे आसपास ऐसी दुनिया बनाने की कोशिश में जुटा है, जैसा कभी पहले नहीं देखा गया।
पिछले कुछ वर्षों में हमने खासतौर पर इस संबंध में चीन के अधिक आक्रामक व्यवहार को महसूस किया है। चीन सिर्फ ऑस्ट्रेलिया ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी उसका सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है। साथ ही वह हमारे और भारत के लिए भी सबसे बड़ी सुरक्षा चिंता है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद को लेकर ऑस्ट्रेलिया उसके साथ एकजुटता से खड़ा है।
भारत संग रक्षा संबंधों को विस्तार देंगे
मार्लेस ने कहा, भारत और ऑस्ट्रेलिया न केवल आर्थिक क्षेत्र, बल्कि रक्षा क्षेत्र में भी द्विपक्षीय संबंधों को लेकर करीबी स्तर पर काम कर रहे हैं ताकि दोनों देशों की रक्षा एवं सुरक्षा स्थिति को मजबूत बनाया जा सके। नई दिल्ली व कैनबरा अपने रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
चीन-रूस की बढ़ती दोस्ती भी चिंता का विषय : मार्लेस ने कहा, चीन और रूस के बीच बढ़ते रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग भी चिंता का विषय हैं। इस दोस्ती का प्रभाव निश्चित ही क्षेत्र पर पड़ेगा। ऐसे में दुनिया में शांति बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है। क्वाड व ऑकस सुरक्षा गठजोड़ नहीं : भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की सदस्यता वाले ‘क्वाड’ समूह के बारे में उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा गठजोड़ नहीं है, क्योंकि इसके रक्षा से जुड़े आयाम नहीं हैं।
कोरोना टीके का समान वितरण होना चाहिए
ब्रिक्स नेताओं ने कोरोना टीके का समान वितरण और टीकाकरण में तेजी लाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ में बौद्धिक संपदा में छूट पर प्रस्ताव के महत्व को समझते हैं। खासकर विकासशील देशों में क्षमता विकसित करने और स्थानीय स्तर पर टीके व अन्य उपकरणों के उत्पादन को बढ़ाने के हिमायती हैं।
ब्रिक्स में सहमति से ही बढ़ेंगे और देश
पांच देशों के समूह ब्रिक्स के नेताओं ने बृहस्पतिवार को कहा कि वे इस समूह में और देशों को शामिल करने की संभावना पर निरंतर चर्चा करते रहेंगे। इस पर कोई फैसला सदस्य देशों के बीच पूर्ण परामर्श और आम सहमति से ही होगा। शिखर सम्मेलन के समापन पर साझा घोषणा में नेताओं ने कहा, हमें ब्रिक्स के विकास पर संतोष है। समय के साथ बदलाव को अपनाने के हम सभी हिमायती हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोलसोनेरो और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सीरिल रामफोसा ने सभी मुद्दों पर आपसी सहयोग की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने ब्रिक्स के विस्तार के अलावा इसके मार्गदर्शक सिद्धांतों को स्पष्ट करने पर भी बल दिया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खासकर इस समूह के विस्तार पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि नए सदस्यों के जुड़ने से ब्रिक्स को नई जीवन शक्ति मिलेगी। इससे सहयोग, प्रतिनिधित्व और ब्रिक्स का प्रभाव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि इस दिशा में आगे बढ़ने से पहले यह महत्वपूर्ण है कि ब्रिक्स परिवार में समान विचारों वाले साझेदार शामिल हों।
संयुक्त राष्ट्र को और प्रभावी बनाने के लिए व्यापक सुधार की बताई जरूरत
पीएम मोदी सहित ब्रिक्स देशों के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए इसमें व्यापक सुधार पर बल दिया। सदस्यों ने सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर भी जोर दिया। सदस्यों ने सुरक्षा परिषद में वर्ष 2021-22 और 22-23 के लिए क्रमश: भारत और ब्राजील की भूमिका की सराहना की। इसके साथ ही सदस्यों ने लोकतंत्र को बढ़ावा देने और संरक्षण, सभी के लिए मानवाधिकार और आजादी के साथ-साथ विश्व बिरादरी के लिए उज्ज्वल साझा भविष्य के निर्माण की पैरवी की।