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32 साल बाद यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर दोहराई गई धारा-288

कृषि कानून के विरोध में किसानों का धरना सोमवार को भी बदस्तूर जारी है। यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने झोपड़ियां बनानी शुरू कर दी है। साथ ही जिला प्रशासन की धारा 144 के विरोध में भारतीय किसान यूनियन की धारा 288 को लागू कर दिया गया है। 32 साल बाद एक बार फिर इस धारा को लगाया गया है। इसके तहत किसानों के अलावा किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है।

इस बीच शाम तक पंजाब, उत्तराखंड और यूपी से किसानों का जत्था पहुंचता रहा। किसानों की लगातार बढ़ रही संख्या के बीच राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने तीन दिसंबर को सरकार से वार्ता होने तक यूपी गेट पर ही डटे रहने का एलान किया। इसके बाद आगे की रणनीति बनाने की बात कही। बता दें कि पहली बार इस धारा का प्रयोग 1988 में किया गाया था।

Farmers wrote section 288 in Delhi - किसानों ने दिल्ली में लिखा धारा-288

सोमवार तड़के से किसानों का अलग-अलग जगहों से जत्था यूपी गेट पर पहुंचना शुरू हो गया था। दिन चढ़ने के साथ यूपी गेट का नजारा भी बदलता रहा। पंजाब, गुरदासपुर, उत्तराखंड के हरिद्वार, बाजपुर, रुड़की यूपी के खतौली, मुजफ्फरनगर, अयोध्या, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, बस्ती, सहारनपुर, बदायूं, मेरठ, बागपत, बड़ौत, सिसौली, हापुड, बुलंदशहर, रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, सीतापुर समेत अलग अलग राज्य व जनपदों से किसान आंदोलन में शामिल होते रहे। दोपहर में नारेबाजी करते हुए किसान ने दो बार बैरिकेडिंग पर चढ़ गए। यह देख दिल्ली पुलिस के अधिकारी अर्धसैनिक बलों के साथ तैनात हो गए।

इस बीच अमर उजाला से बातचीत में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 3 दिसंबर को केंद्र सरकार से वार्ता होने तक सभी किसान यूपी गेट पर ही डटे रहेंगे। इस दौरान किसी हाईवे या लोनी सीमा पर किसान कोई जाम नहीं लगाएंगे। पंजाब और हरियाणा के किसानों से लगातार संपर्क भी बना हुआ है। वहां से बातचीत के बाद किसानों के साथ धरना स्थल पर बैठकर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। इस दौरान उन्होंने काफी संख्या में किसानों के यूपी गेट तक इकट्ठा होने का दावा किया। उन्होंने कहा कि कल किसानों की संख्या और बढ़ जाएगी।

 

राकेश टिकैत ने बताया कि यह भाकियू की अपनी धारा है। चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने सबसे पहले 1988 में इस धारा का इस्तेमाल 1988 में दिल्ली में वोट क्लब पर किया था। इस धारा के तहत पुलिस को किसान की हद में नहीं आने दिया जाता है। इससे आंदोलन को भी उग्र नहीं होने दिया जाता है। कोई असामाजिक तत्व घुस जाए तो भाकियू उसके खिलाफ भी अपनी धारा-288 के तहत कार्रवाई करती है। यह शांतिप्रिय आंदोलन का तरीका है। टिकैत ने कहा कि भाकियू ने 32 साल बाद देश में दूसरी बार यह धारा लगाई है।

राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को भीम आर्मी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अलग-अलग संगठन समर्थन दे रहे हैं, हालांकि यह उनकी इच्छा है। समर्थन देने से किसी को मना नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सरकार की उच्च स्तरीय बैठकों पर कहा कि नेता बैठक कर रहे हैं तो समाधान की उम्मीद है। उन्होंने तीन मुख्य मांगों को दोहराते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून, वाद-विवाद पर कोर्ट में किसान जा सके और मंडी समितियों को खत्म नहीं होने दिया जाए। किसानों को कृषि कानून सही से समझने वाले बयान पर उन्होंने कहा कि वे लोग जिस स्कूल में पढ़े हैं, हमें भी उसी स्कूल में पढ़ा देते, जिससे हमें कृषि कानून समझ आता है। इस दौरान उन्होंने लोनी बॉर्डर और हाईवे जाम न करने की बात कही।

 

वहीं दोपहर करीब ढाई बजे रजापुर से भाकियू के जिला प्रभारी जयकुमार मलिक ट्रैक्टर-ट्रॉली में सूखी पराली और तिरपाल व बड़े-बड़े बांस लेकर पहुंचे। बैरिकेडिंग के पास ट्रैक्टर-ट्रॉली के पहुंचते ही दिल्ली के पुलिस अधिकारियों में हलचल पैदा हो गई। अर्धसैनिक बलों के साथ सभी दोबारा से तैनात हो गए। लेकिन किसानों ने बीच सड़क पर ही पराली डाल कर झोपड़ी बनानी शुरू कर दी। इससे यूपीगेट गांव की शक्ल लेने लगा। देर शाम को किसानों ने झोपड़ी में बैठकर हुक्का भी गुड़गुड़ाया। इसी तरह किसानों ने यूपी गेट के दूसरी तरफ भी झोपड़ी बनाने की तैयारी शुरू कर दी।