एक दौर था जब वेस्टइंडीज (West Indies) की टीम और उसके गेंदबाजों से दुनिया खौफ खाती थी. और एक वक्त ऐसा आया जब वेस्टइंडीज की टीम ढलान पर आने लगी और उसकी जगह ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने ले ली. कंगारुओं की यही टीम जब अपने शबाब पर थी तभी उसके घर में कुछ ऐसा हुआ, जिसने तब दुनिया की इस सबसे मजबूत टीम को भीतर तक झकझोर दिया. और ये करिश्मा करने वाली विपक्षी टीम वेस्टइंडीज ही थी. मैदान था पर्थ का और अपनी कहर बरपाती गेंदों से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की सिट्टी पिट्टी गुम करने वाले तेज गेंदबाज थे करीब सात फीट के कर्टली एंब्रोस (Curtly Ambrose). साल 1993 में एलन बॉर्डर की कप्तानी वाली टीम को नेस्तनाबूद करने की इस कहानी का हिस्सा बनना आज इसलिए जरूरी है क्योंकि आज ही के दिन इस मैच की शुरुआत हुई थी.
27 साल पहले ये मैच 30 जनवरी से 1 फरवरी के बीच खेला गया था. ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतने के बाद ये सोचकर पहले बल्लेबाजी चुनी कि बल्लेबाज कोई करिश्मा कर देंगे. लेकिन आगे जो कुछ भी हुआ वो तो किसी ने नहीं सोचा था. हालांकि टीम को पहला झटका 27 रन पर लगा, लेकिन उसके बाद दो विकेट पर स्कोर 85 रन हो गया. यहां तक सब सही नजर आ रहा था. ये दोनों विकेट जस्टिन लैंगर और स्टीव वॉ के थे. मगर इसके बाद एंब्रोस जैसे तबाही मचाने पर उतारू हो गए. 6.8 फीट के एंब्रोस जब पर्थ की पिच पर गेंद पटकते तो मेजबान बल्लेबाजों की घिग्गी बंध जाती.
एंब्रोस ने पहली पारी में 7 विकेट लिए तो दूसरी पारी में बिशप के नाम रहे 6 विकेट
ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम दो विकेट पर 85 रन से 119 रनों पर निपट गई. यानी 34 रनों पर टीम के आठ बल्लेबाज आउट हो गए. कमाल की बात तो ये रही कि इन आठ में से अकेले एंब्रोस ने 32 गेंदों में सिर्फ 1 रन देकर सात बल्लेबाजों का शिकार किया. एंब्रोस ने पहली पारी में 18 ओवर में 25 रन देकर 7 विकेट हासिल किए. वेस्टइंडीज ने पहली पारी में 322 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया पर पहली पारी में 203 रनों की बढ़त हासिल कर ली.
पहली पारी के प्रदर्शन के बाद दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया से बहुत उम्मीदें बची नहीं थी और हुआ भी ऐसा ही. मेजबान टीम दूसरी पारी में 178 रन ही बना सकी और ये मैच पारी व 25 रन से हार गई. इस बार एंब्रोस भले ही दो विकेट ले सके, लेकिन कहर बरपाने का जिम्मा इयान बिशप ने लिया. बिशप ने 6 विकेट लिए. मैच तीसरे दिन लंच से पहले ही खत्म हो गया.