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गाजा में भीषण ठंड से 3 हफ्ते की मासूम की मौत, टेंट कैंपों में जीने को मजबूर हो रहे लोग

गाजा में युद्ध के कारण उत्पन्न भयंकर हालात ने एक और मासूम की जान ले ली। ठंड के कारण एक तीन हफ्ते की मासूम बच्ची की मौत हो गई। यह बच्ची उन हजारों लोगों में से एक थी जो इजरायली हमलों के चलते अपने घरों को छोड़कर गाजा के अस्थायी टेंट कैंपों में जीने को मजबूर हो रहे हैं।

भीषण ठंड में बच्ची की मौत

गाजा के कैंपों में रह रहे महमूद अल-फसीह ने अपनी तीन हफ्ते की बेटी सिला को ठंड से बचाने के लिए एक कंबल में लपेटा लेकिन यह काफी नहीं था। टेंट पूरी तरह सील नहीं था और जमीन ठंडी होने के कारण रात में तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। महमूद ने बताया कि उनके पास आग जलाने की सामग्री और गर्म कपड़े नहीं थे जिससे उनकी बेटी ठंड बर्दाश्त नहीं कर पाई।

टेंट कैंपों में रह रहे हजारों लोग

गाजा की 2.3 मिलियन की आबादी में से लगभग 90% लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। हजारों लोग तट के पास बने टेंट कैंपों में रह रहे हैं। सर्दी के कारण इन कैंपों में रहना मुश्किल हो गया है।
सहायता समूहों के लिए इन कैंपों में राहत सामग्री जैसे खाना, कंबल और गर्म कपड़े पहुंचाना चुनौती बन गया है। लोगों को आग जलाने के लिए लकड़ी भी नहीं मिल रही है।

इजरायल-हमास युद्ध का असर

इजरायली बमबारी और जमीनी हमलों में अब तक 45,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। इनमें से आधे से ज्यादा महिलाएं और बच्चे हैं। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि यह आंकड़ा सभी नागरिकों और लड़ाकों को मिलाकर है।

युद्धविराम की उम्मीदें धुंधली

इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम को लेकर बातचीत जारी है। दोनों पक्षों ने हाल के हफ्तों में समझौते की उम्मीद जताई थी जिसमें गाजा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए दर्जनों लोगों को रिहा करने की योजना थी।

हालांकि अब दोनों के बीच मतभेद उभरने लगे हैं। इजरायल ने हमास पर पहले से बनी सहमति से मुकरने का आरोप लगाया है जबकि हमास ने बातचीत में देरी का आरोप लगाया है।

जरूरी सामानों की बढ़ाई गई आपूर्ति 

इजरायल ने गाजा में मदद पहुंचाने के लिए ट्रकों की संख्या बढ़ा दी है। इस महीने हर दिन औसतन 130 ट्रकों के जरिए राहत सामग्री भेजी जा रही है। फिर भी भीषण ठंड और युद्ध की वजह से प्रभावित लोगों की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं।

वहीं गाजा की घटनाएं मासूमों और निर्दोष लोगों के लिए संघर्ष और संकट को उजागर करती हैं। युद्ध के हालात में जीने को मजबूर इन लोगों के लिए राहत और समाधान बेहद जरूरी है।