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2500 रूसी सैनिकों ने तालिबान के खतरे से निपटने के लिए किया युद्धाभ्यास

रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के सैनिकों ने अफगानिस्तान सीमा के पास अपने संयुक्त युद्धाभ्यास को पूरा कर लिया है। यह युद्धाभ्यास पिछले सप्ताह शुरू हुआ था जिसमें 2,500 रूसी, ताजिक और उज्बेक सैनिकों ने 500 सैन्य वाहनों के साथ हिस्सा लिया। खबरों के अनुसार तालिबान के सम्भावित खतरों से निपटने के लिए यह युद्धाभ्यास हुआ।

वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति जो बाइडेन से एक अमेरिकी सांसद मिच मैककॉनेल ने अपील की है कि अफगानिस्तान की सरकार को 31 अगस्त के बाद भी हवाई हमलों के जरिए मदद जारी रखें। मिच मैककॉनेल ने कहा कि यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो फिर अलकायदा और तालिबान काबुल पर भी कब्जा जमा लेंगे और हमारे दूतावास को फूंक देंगे। सांसद ने कहा कि ऐसे ही हालात रहे तो जल्द ही काबुल पर कब्जा करके तालिबान हमारे दूतावास को जला देंगे और इस तरह से 11 सितम्बर, 2001 को हुए आतंकी हमले की 20वीं बरसी मनाएंगे।

रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान से लगी ताजिकिस्तान की सीमा से तकरीबन 20 किलोमीटर उत्तर में हार्ब-मैडन फायरिंग रेंज में यह युद्धाभ्यास चला, इसमें सैनिकों ने आतंकवादियों से निपटने को लेकर कार्रवाई का अभ्यास किया। इसमें रूसी Su-25 लड़ाकू विमान शामिल हुए और आतंकियों से निपटने को लेकर रिहर्सल किया। वहीं रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने मंगलवार को तालिबान के वादे का जिक्र किया लेकिन अफगानिस्तान में बढ़ती शत्रुता के बीच मध्य एशियाई देशों की सुरक्षा को मजबूत करने के महत्व पर भी जोर दिया, उन्होंने कहा कि तालिबान अब ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ अफगानिस्तान की सीमाओं को नियंत्रित कर रहा है। शोइगु ने ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में इन संयुक्त युद्धाभ्यासों की सराहना की और कहा कि भविष्य में इस तरह के और अभ्यास किए जाएंगे। रूसी न्यूज एजेंसी के अनुसर रूस के विदेश मंत्री कहा कि यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के सशस्त्र बल संभावित खतरों का सामना करने के लिए तैयार होंगे, भले ही तालिबान नेताओं का कहना है कि वे सीमा पार और पड़ोसियों पर हमले नहीं करेंगे।

उधर, रूसी सेना ने कहा कि यह युद्धाभ्यास अफगानिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति, संभावित खतरों से निपटने, मध्य एशिया में सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्थिरता बनाए रखने के लिए आयोजित किया गया। रूस के सेंट्रल मिलिट्री डिस्ट्रिक चीफ कर्नल-जनरल अलेक्जेंडर लापिन ने कहा कि मध्य एशियाई देशों में कट्टरपंथी आतंकवादी गुटों के खतरे और अफगानिस्तान में बिगड़ते सुरक्षा हालात के बीच यह युद्धाभ्यास किया गया। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि भविष्य में संयुक्त कार्रवाई सैन्य सहयोग को मजबूत करने और हमारे देशों को सैन्य आक्रमण से बचाने में मदद करेगी। रूसी सेना ने कहा कि तजाकिस्तान में रूसी सैनिकों ने अभ्यास के दौरान नए हथियारों के इस्तेमाल का अभ्यास किया, जिसमें नई स्नाइपर राइफल और फ्लेम थ्रोअर शामिल हैं।

रूस ने अफगानिस्तान की तरफ से आतंकवादियों की घुसपैठ की स्थिति में अपने सहयोगी और अन्य पूर्व-सोवियत मध्य एशियाई देशों को सैन्य सहायता करने का वादा किया है। तीन मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान मास्को-प्रभुत्व वाले सुरक्षा समझौते ‘द कोलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन’ के सदस्य हैं, यह सुरक्षा करार कई पूर्व सोवियत देश के बीच हुआ है। ताजिकिस्तान से पहले, रूसी सैनिकों ने उज्बेकिस्तान में पिछले सप्ताह युद्धाभ्यास किया था जिसमें 200 सैन्य वाहन के साथ 1 हजार 500 रूसी और उज्बेक सैनिक शामिल हुए थे। उज्बेकिस्तान में युद्धाभ्यास के दौरान चार रूसी Tu-22M3 बमवर्षक विमानों ने अफगानिस्तान की सीमा के समीप उड़ान भरी, यह युद्धाभ्यास अफगानिस्तान से लगी सीमा के पास उज्बेकिस्तान में टर्मेज फायरिंग रेंज में आयोजित किया गया था।