तालिबान की बर्बरता के सामने दुनिया एकजूट होती जा रही है। जर्मनी ने गुरुवार को कहा कि अगर तालिबान देश में सत्ता पर कब्जा करने में सफल हो जाता है तो वह अफगानिस्तान को वित्तीय सहायता भेजना बंद कर देगा। अफगानिस्तान को मिलने वाली वित्तीय मदद बंद कर जाएगी। जर्मनी के सरकारी टेलीविजन विदेश मंत्री हेइको मास ने कहा कि तालिबान जानता है कि अफगानिस्तान का अंतरराष्ट्रीय सहायता के बिना काम नहीं चल सकता है और उसे यह नहीं मिलेगी। मास ने कहा कि अगर तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा और शरिया कानून लागू करता है और इसे खिलाफत में तब्दील कर देता है तो हम इस देश को एक फूटी कौड़ी नहीं भेजेंगे।
ज्ञात हो कि जर्मनी प्रतिवर्ष अफगानिस्तान को 430 मिलियन यूरो की सहायता भेजता है। जर्मनी संघर्ष प्रभावित देश को दान करने वाले सबसे बड़े देशों में से है। अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा करता जा रहा है। तालिबान ने राजधानी काबुल से 150 किलोमीटर दूर प्रांतीय राजधानी गजनी, प्रांतीय राजधानी कंधार पर कब्जा कर लिया है। यह अफगानिस्तान की 34 में से बारहवीं प्रांतीय राजधानी है जिस पर तालिबान ने कब्जा कर लिया। सरकारी अधिकारियों को हवाई मार्ग से जान बचाकर शहर से भागना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से वापसी के फैसले का मतलब यह था कि सभी नाटो बलों को भी देश छोड़ना है, क्योंकि अमेरिका के बिना…कोई भी देश अपने सैनिकों को वहां सुरक्षित नहीं रख सकता है। जर्मनी की सरकार अफगानिस्तान में एक लंबे मिशन पर विचार कर रही थी। लेकिन नाटो के बाहर रहकर यह मुमकिन नहीं हो सका। जर्मनों ने अपने लोगों को तत्काल अफगानिस्तान छोड़ने के लिए कहा गया है। जर्मन सेना के साथ काम करने वाले अफगानों को तालिबान से बचाने के लिए जर्मनी लाया जाएगा।