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2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में JDU भी ठोकेगी ताल

बिहार में सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) अब अपना विस्तार उत्तर प्रदेश में भी करने जा रही है. यूपी में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव 2022 में जेडीयू भी ताल ठोकने की तैयारी में है. जनवरी महीने की 23-24 तारीख को जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर लखनऊ में एक समारोह में इसका आगाज होगा.

इसका पूरा जिम्मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी को दिया है. केसी त्यागी यूपी एवं बिहार से चार बार सांसद रह चुके हैं. उनके पास पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, वीपी सिंह, मुलायम सिंह यादव समेत कई वरिष्ठ नेताओं के साथ यूपी में काम करने का अनुभव रहा है. साथ ही संगठन की क्षमता भी है. दरअसल, यूपी में पार्टी अपने हर तरह के समीकरण का आकलन कर रही है.

त्यागी ने कहा कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) 2022 में यूपी का विधानसभा चुनाव लड़ेगी. अगर बीजेपी गठबंधन करेगी तो ठीक है, वरना हम अकेले ही मैदान में उतरेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि अन्य किसी भी दल से अभी ताल-मेल करने की नहीं सोच रहे हैं. उन्होंने बताया कि यूपी में पहले भी हमारे एमपी, एमएलए रह चुके हैं.

उन्होंने कहा कि 2004 में वो खुद भी चुनाव लड़ चुके हैं. साथ ही कहा कि जब जॉर्ज फर्नान्डिस एनडीए के कन्वीनर थे, तब हमारे कई मंत्री भी थे. बाद में एनडीए से हमारा गठबंधन टूट गया. टूट फूट में हमारी पार्टी कमजोर हो गयी और गठबंधन नहीं हो पाया. हालांकि 2017 में पार्टी ने माहौल गर्म किया था. नीतीश कुमार ने दर्जनों सभाएं भी की थी, लेकिन बाद में पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया.

उन्होंने कहा कि यूपी का बड़ा हिस्सा जो बिहार से सटा है, वहां पर हमारी पार्टी के विस्तार की बड़ी संभावना है. 23 और 24 को राज्य कार्यकारिणी की बैठक है, इसमें जिलाध्यक्ष भी भाग लेंगे. इस दिन कर्पूरी ठाकुर का जन्मदिन है. वो समाजिक न्याय आंदोलन के बड़े नेता रहे हैं.

 

उन्होंने कहा कि बिहार में एक प्रयोग किया गया था ‘कोटा विदिन कोटा’ जो पिछड़ी जातियों में जो अति पिछड़ी जातियां हैं उनको आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है. लिहाजा उनको कोटे के अंदर कोटा दिया जाए, इसके लिए मांग की है. बिहार में नीतीश कुमार ने इसे लागू भी किया है. इसके अलावा किसानों के सवाल हैं. पुराने समाजवादी आंदोलन की हेरीटेज भी यूपी में है. इन्हीं सब बातों का ध्यान में रखते हुए पार्टी अपनी रणनीति बना रही है.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि जेडीयू चाहती है कि बिहार से सटे यूपी के जिले में अपनी पैठ बनी रहे. भोजपुरी भाषी लोगों के बीच पार्टी अपना संपर्क का दायरा बढ़ाकर अपनी पहुंच बनाना चाहती है. पिछले एक दशक से पार्टी ये प्रयास कर रही है, लेकिन अभी इसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली है. हालांकि यहां पर जेडीयू का कोई संगठन नहीं है और इसीलिए अभी इसके कोई राजनीतिक निहितार्थ निकालने के कोई मायने नहीं है.