अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल की दहलीज पर पहुंच गया है. सोमवार को कच्चे तेल के दाम में 1.2 फीसदी का उछाल आया है. रूस द्वारा यूक्रेन (Russia-Ukraine Conflict) पर संभावित आक्रमण के डर से सोमवार को तेल की कीमतें 7 साल से अधिक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) का भाव 1.2 फीसदी बढ़कर 95.56 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जो पहले 96.16 डॉलर के स्तर को छुआ था. यह अक्टूबर 2014 के बाद सबसे अधिक है. वहीं, यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड का दाम 1.4 फीसदी बढ़कर 94.38 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जो सितंबर 2014 के बाद से सबसे ऊंचे 94.94 डॉलर के सत्र के उच्च स्तर के करीब है.
अमेरिका ने दावा किया है कि रूस जल्द ही यूक्रेन पर हमला कर सकता है. ऐसी स्थिति में अमेरिका और यूरोपीय देश रूस पर प्रतिबंध लगा सकते हैं. प्रतिबंध लगाए जाने से पहले से ही तंग बाजार में दुनिया के शीर्ष उत्पादक से निर्यात को बाधित करेगा. इससे कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जाएंगे.
150 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है कच्चा तेल
रूस एनर्जी मार्केट में बड़ा रोल प्ले करता है. यूरोपीय देशों के लिए रूस सबसे बड़ा नैचुरल गैस सप्लायर है. उसका सऊदी अरब के साथ भी अच्छे संबंध हैं. सऊदी अरब ऑयल प्रोड्यूसिंग नेशन का लीडर है. ऐसे में रूस चाहे तो पूरी दुनिया में एनर्जी क्राइसिस बढ़ा सकता है. गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक 2022 में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल को छू सकता है. वहीं जेपी मोर्गन ने 2022 में 125 डॉलर प्रति बैरल और 2023 में 150 डॉलर प्रति बैरल तक दाम छूने की भविष्यवाणी की है.
भारत में महंगा होगा पेट्रोल और डीजल
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का अब भारत ही नहीं पाकिस्तान पर बड़ा असर होगा. भारत में 4 नवंबर 2021 के बाद से पेट्रोल और डीजल (Petrol-Diesel) के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. सरकार के दवाब के चलते सरकारी तेल कंपनियां कच्चे तेल के दामों में इजाफा होने के बावजूद पेट्रोल, डीजल के दाम नहीं बढ़ा रही हैं. लेकिन चुनावों के बाद वे घाटा पूरा करने के लिए कीमतें बढ़ा सकता है.
भारत जरूरत का अधिकतम हिस्सा तेल आयात करता है. कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी से भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी होगी. वहीं कच्चे तेल में इजाफा से राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी होगी.