हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Himachal Pradesh Assembly Elections) के लिए चल रहे चुनाव में दोनों मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल (भाजपा-कांग्रेस-BJP-Congress) बागियों की चुनौती का सामना कर रहे हैं। दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है। सत्ता की चाबी किसके हाथ रहेगी, इसमें बागियों और आप के उम्मीदवारों की बड़ी भूमिका होना तय है।
हिमाचल की 68 विधानसभा सीटों के लिए 412 प्रत्याशी मैदान में हैं। 2017 के मुकाबले इस बार प्रत्याशियों की संख्या 74 ज्यादा है। चुनाव तिथि घोषित होने से पहले भी भाजपा ने तैयारियां पूरी कर ली थी। प्रधानमंत्री सहित तमाम नेताओं के जमकर दौरे हुए और सौगातों की झड़ी लगा दी गई। वहीं, चुनाव की घोषणा वाले दिन ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सोलन में पहली रैली कर कांग्रेस की नीतियां व गारंटियों को स्पष्ट कर दिया था। इसके बाद पार्टी ने गति पकड़ी पर उसके बागियों ने सिरदर्द कर दिया।
कांग्रेस ने बागी विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर, पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट व जगजीवन पाल, विजय पाल खाची, परस राम सुशील कौल, ब्लॉक कांग्रेस के उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा, जिला कांग्रेस कुल्लू के महासचिव लोक राज ठाकुर, शेर सिंह ठाकुर, विजय कंवर, पंकज कुमार, शिमला शहरी के अभिषेक भरवलिया, पीसीसी सचिव सुनील कुमार व मुकेश कुमार को पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया है। इनमें से तीन पार्टी को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में हैं। कांग्रेस के 11 नेता बागी हुए थे पर पांच मना लिया गए हैं।
भाजपा को उम्मीद थी वो अपने बागियों को मना लेगी पर ऐसा हुआ नहीं। 21 बागी उसका गणित बिगाड़ने में लगे हैं। महेश्वर सिंह ने बेटे हितेश्वर को बागी चुनाव लड़ा दिया है। आनी के विधायक किशोरी लाल सागर, देहरा विधायक होशियार सिंह, नालागढ़ के पूर्व विधायक केएल ठाकुर, इंदौरा के मनोहर धीमान, किन्नौर के तेजवंत नेगी टक्कर दे रहे हैं। पूर्व मंत्री रूप सिंह ठाकुर ने बेटे अभिषेक ठाकुर को सुंदरनगर, बिलासपुर के भाजपा नेता सुभाष शर्मा ने ताल ठोक दी है।
फतेहपुर से पूर्व सांसद कृपाल परमार, मंडी से प्रवीण शर्मा व कुल्लू से राम सिंह भी भाजपा को नुकसान पहुंचाने में लगे हैं। नाचन से ज्ञान चंद, धर्मशाला से विपिन नैहरिया, अनिल चौधरी, कांगड़ा से कुलभाष चौधरी, मनाली से महेंद्र ठाकुर, बड़सर से संजीव शर्मा, हमीरपुर से नरेश दर्जी, भोरंज से पवन कुमार, रोहडू़ से राजेंद्र धीरटा व चंबा से इंदिरा कपूर नुकसान पहुंचा रहे हैं।
आप की रणनीति
आम आदमी पार्टी ने सबसे अधिक तोड़ कांग्रेस में ही की है। उसने कांग्रेस के ब्लाक स्तर से लेकर जिला स्तर तक के तीन दर्जन नेताओं को उम्मीदवार बनाया है, जो चुनाव घोषित होने के पहले ही कांग्रेस से चले गए थे।
20 सीटों पर पहुंचाया था नुकसान
2017 के चुनाव में 348 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें 15 कांग्रेस के बागी थे। कांग्रेस के कद्दावर नेता ठाकुर कौल सिंह की बेटी जया ठाकुर और उनके शिष्य पूर्ण चंद ठाकुर भी बागी होकर मैदान में थे। रामपुर, शिमला से पूर्व कैबिनेट मंत्री सिंघी राम, ऊना से राजीव गौतम, लाहौल स्पीति से राजेंद्र करपा, कुल्लू से रेणुका डोगरा, द्रंग से पूर्ण चंद ठाकुर (प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष), नालागढ़ से हरदीप सिंह बाबा (इंटक के अध्यक्ष) व शिमला शहरी क्षेत्र से हरीश जनारथा ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था। बागियों ने कांग्रेस को 20 सीटों पर नुकसान पहुंचाया।
कम मत अंतर वाली सीटों पर नजर
2017 में भाजपा को कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर, चंबा, कुल्लू, सिरमौर, लाहौल स्पीती और ऊना जिले में सफलता मिली थी। वहीं, हमीरपुर, किन्नौर, शिमला, सोलन में कांग्रेस को। चूंकि इस बार ‘आप’ पंजाब के अपने काम और वादों को लेकर मैदान में है, तो वह भी नुकसान पहुंचाएगी। सत्ताविरोधी वोट बांटकर वो कांग्रेस के सपनों को तोड़ सकती है। वजह पिछले चुनाव में दो दर्जन सीटें ऐसी थीं, जिनका अंतर पांच हजार से कम मतों का था। आदमी पार्टी का निशाना वही सीटें अधिक हैं।