सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों एक अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर आपने किराए पर गाड़ी ली है तो उसका बीमा भी ट्रांसफर माना जाएगा. अगर किराये पर लेने के बाद गाड़ी हादसे का शिकार हो जाता है तो इंश्योरेंस कंपनी को मुआवजा देना होगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सामने सवाल था कि अगर वाहन इंश्योर्ड है और उस एग्रिमेंट के तहत कॉरपोरेशन वाहन को तय रूट पर चला रहा है और अगर इस दौरान कोई हादसा हो जाता है तो मुआवजा देने के लिए बीमा कंपनी जिम्मेदार होगी या कॉरपोरेशन या फिर वाहन मालिक? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एग्रिमेंट के तहत कॉरपोरेशन वाहन मालिक की तरह है क्योंकि उस वाहन की कमांड उसके पास है. ड्राइवर या कंडक्टर उसके मातहत काम कर रहे हैं. ऐसे में वाहन के साथ बीमा पॉलिसी भी ट्रांसफर मानी जाएगी.
बता दें कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के सामने यूपी स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के साथ एक मालिक का एग्रिमेंट से जुड़ा मामला आया था. एग्रिमेंट के मुताबिक वाहन मालिक ने यूपी ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन को बस किराये पर दी थी. किराये की अवधि के दौरान बस मालिक ने इंश्योरेंस करा रखा था. बस 25 अगस्त 1998 के एक हादसे का शिकार हो गई. इस हादसे में एक शख्स की जान चली गई. परिजनों ने मोटर एक्सिडेंट क्लेम ट्रब्यूनल में अर्जी दे कर मुआवजा मांगा. ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह परिजनों को 1.82 लाख मुआवजे के साथ 6 प्रतिशत ब्याज भी दे.
क्या था मामला
लेकिन, बीमा कंपनी इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि थर्ड पार्टी मुआवजे के भुगतान की जिम्मेदारी बीमा कंपनी को नहीं है, क्योंकि बस किराये पर यूपी ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन चला रहा था. इसके बाद कॉरपोरेशन ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.