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शोध – डायनासोर के महाविनाश के बाद सांपों की जनसंख्या में विस्फोट

दुनिया में पृथ्वी पर जीवन के इतिहास (History of Life) में लोगों कि डायनासोर (Dinosaurs) और उनके अंत के बारे में ज्यादा चर्चाएं होती हैं. डायनासोर विषय पर भी अध्ययन बहुत हुए हैं, लेकिन 6.6 करोड़ साल पहले उनका विनाश करने वाली घटना के बाद जीवन का विकास कैसा रहा इस पर हुए शोधों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है. लेकिन एक नए अध्ययन ने डायनासोर युग के बाद के समय पर एक रोचक जानाकरी निकाली है. उस महाविनाश के बाद सांपों (Snakes) में बहुत सारी विविध प्रजातियां अस्तित्व में आई थीं और जैवविविधता की कमी को सांपों के इस जनसंख्या विस्फोट ने काफी हद तक पूरा कर दिया था.

सांपों की जनसंख्या में विस्फोट

डायनासोर के विनाश के बाद पक्षियों, स्तनपायी जीवों और पैर रहित सरीसृपों की जनसंख्या में एक तरह का विस्फोट हो गया था. इस अद्ययनके शोधकर्ताओं का कहना है कि इस सेनोजोइक युग में स्तनपायी जीवों की इतनी ज्यादा विविधता थी कि इसे स्तनपायी जीवों का युग कहा जाता है. लेकिन यह भी सच है कि इस युग में जितने स्तनपायी जीवों की प्रजातियां हुई उतनी ही सांपों की भी प्रजातियां देखने को मिली. इसलिए इसे सर्पों का युग भी कहा जा सकता है.

बहुत से अनसुलझे सवाल

आज दुनिया में सांपों की करीब चार हजार प्रजातियां हैं. लेकिन इतनी विविधता कहां से, कब और क्यों आई, ऐसे सवालों के जवाब वैज्ञानिक आज भी तलाश रहे हैं. समस्या ये है कि सांपों का जीवाश्म रिकॉर्ड बहुत कम मिलते हैं और जो आज जिंदा है वे इतने शर्मीले और छिपकर रहने वाले होते हैं कि उनके बारे में जानकारी जमा करना बहुत मुश्किल होता है.

इस वजह से अनिश्चितताएं

एक समस्या और यह भी है कि वैज्ञानिकों ने शोध के मामलों में इंसानों की तरह गर्म खून वाले जीवों को ज्यादा तरजीह दी है. यही वजह है कि जानकारी के अभाव में सांपों के विकास के मॉडलों में इतनी ज्यादा अनिश्चितताएं हैं. लेकिन इस अध्ययन में नए मॉडल ने जानकारी की इस कमी को पूरा करने की पूरी कोशिश की है.