अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। मौत के बाद रहस्यों को खुलासा हो रहा है। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी से 14 मई 2021 को निष्कासित किए गए स्वामी आनंद गिरि को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी के सबसे करीबी शिष्यों में से एक थे। उन्हें अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी के तौर भी देखा जा रहा था। स्वामी आनंद गिरी की पहचान देश और बाहर में योग गुरु के रूप में थी। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि एक पेट्रोल पंप खोलना चाहते थे। उनकी शैक्षिक योग्यता नहीं होने के चलते उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरि के नाम पेट्रोल पंप लगभग मंजूर करा भी लिया था। वह चाहते थे कि एक पेट्रोल पंप हो।
पेट्रोल पंप के लिए मठ की एक जमीन भी लीज पर आनंद गिरि के नाम पर कर दी थी। इस बीच महंत नरेंद्र गिरि को ऐसा आभास हुआ कि उनके शिष्य आनंद गिरि की मंशा कुछ ठीक नहीं है। वह स्वयं के विषय में ज्यादा महत्वाकांक्षी है। जिसके बाद उन्होंने पेट्रोल पंप न लेने की बात कही। पेट्रोल पंप नहीं लेने की बात को लेकर गुरु और शिष्य के बीच तकरार बढ़ गई थी। दोनों के बीच तकरार इतनी बढ़ गई कि महंत नरेंद्र गिरी को अपने सबसे प्रिय शिष्य को निरंजनी अखाड़े के साथ ही मठ और बड़े हनुमान मंदिर से बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा। यह आनन्द के खिलाफ कड़ा निर्णय था।
ऐसे मिले थे आनन्द
महंत नरेंद्र गिरि ने विवाद के बाद बताया था कि स्वामी आनंद गिरी 10 वर्ष की अवस्था में उन्हें हरिद्वार में मिले थे और वह मूल रूप से राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले हैं। अपने घर से भाग कर आए थे और चाय की दुकान पर काम करते हुए उन्हें मिले थे। उन्हें सड़क से उठा कर लाया था। महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक उन्होंने आनंद गिरि को कुछ रुपए दिए। उनको समझा बुझाकर घर जाने को कहा। जब आनंद गिरि घर नहीं गये देखते हुए उन्हें अपने साथ रख लिया और उन्हें संस्कृत की शिक्षा दिलाई।
शिष्य आनंद गिरि समेत 3 लोगों पर मुकदमा
महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद उनके शिष्य आनंद गिरि बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी के खिलाफ जार्ज टाउन थाने में नामजद एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ कर रही है। आनंद गिरि की गिरफ्तारी हरिद्वार से हुई है।