हैदाराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इसे घटना नहीं कहा जा सकता, कुछ भी ऊपर से इजाजत के बिना नहीं हो सकता है। यह पूर्वनियोजित थी। मासूम सिख किसानों को गाड़ी के नीचे रौंद दिया गया। ये इम्पलसिव रिएक्शन नहीं था बल्कि पूरी तैयारी के साथ किया गया था। यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि ऐसी वारदात हो रही है। उन्होंने कहा कि ‘ये सब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के भाषण के बाद होता है और पुलिस को इस पर कार्रवाई करने में इतना वक्त लग जाता है। उन्होंने कहा कि 3 अक्टूबर की हिंसा और किसानों की मौत के बाद 9 अक्टूबर की रात हिरासत और अरेस्ट होता है।
12 घंटे में 10 बार आरोपी को कराया नाश्ता
ओवैसी ने आशीष मिश्रा को लेकर कहा कि 12 घंटे में 10 बार नाश्ता कराया, लग रहा था कि अपने ससुराल गया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी आशीष मिश्रा को बचाने की कोशिश कर रही है।
लखीमपुर में गाड़ी से रौंदे जाने से चार किसानों, एक पत्रकार और तीन अन्य लोगांे की मौत हुई है। इस हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को 45-45 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। इस पर भी तंज कसते हुए ओवैसी ने कहा कि इन लोगों को शर्म करनी चाहिए, क्या एक इंसान के जान की कीमत 45 लाख है?‘
उन्होंने कहा कि बीजेपी और पीएम मोदी को अपने गुरूर से निकलना पड़ेगा। पीएम मोदी लखनऊ आए और मिलने तक नहीं गये। एक लफ्ज तक नहीं कहा। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से निकाल देना चाहिए। ओवैसी ने ये भी कहा कि जब बेटा आरोपी हो और पिता केंद्रीय मंत्री, तो इंसाफ कैसे मिलेगा? उन्होंने कहा कि इंसाफ का भरोसा खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि किसानों को रौंदने वाली किसकी हैं, उस गाड़ी मालिक पर क्या कार्रवाई हुई। लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में 3 अक्टूबर को हिंसा भड़की थी। आशीष मिश्रा ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को गाड़ी से रौंदा दिया।