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रावण वध से पहले भगवान श्रीराम को क्यों करना पड़ा था अपने एक नेत्र का दान

विजयादशमी (दशहरा) का पर्व हिंदुओं के विशेष त्यौहारों में से एक है. इस दिन को भगवान राम की जीत और दुष्ट रावण के वध की खुशी में मनाया जाता है. बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की जीत के इस महापर्व पर रावण दहन के साथ ही कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों को भी जलाया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण को मारकर लंका पर विजय हासिल की थी. ये बात तो सभी जानते हैं लेकिन कुछ ही लोग यह जानते हैं कि भगवान राम ने रावण वध से पहले अपनी एक आंख का दान किया था. पौराणिक कथा के अनुसार आखिर भगवान श्रीराम को ऐसा क्यों करना पड़ा था जानें इसके बारे में…

इस वजह से किया एक नेत्र का दान
पूरे देश में दशहरे का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. भगवान राम ने इसी दिन धरती को रावण जैसे दुष्ट से मुक्त कराया था. रावण वध के साथ ही यह धरा पापमुक्त हो गई थी. रावण वध के लिए भगवान श्रीराम को अपना एक नेत्र दान करना पड़ा था, इसके बाद ही उन्हें लंका पर विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद मिल सका था. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम ने रावण पर विजय हासिल करने के लिए मां दुर्गा का पूजन कर शक्ति का आह्वान किया था. उस वक्त मां दुर्गा ने श्रीराम की परीक्षा लेने के उद्देश्य से पूजा में रखे कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया था.

जब भगवान राम ने देखा कि पूजा में रखे गए कमल के फूलों में से एक फूल कम है तो उन्होंने मां दुर्गा को अपने एक नेत्र को अर्पण करने का निश्चय किया. बता दें कि भगवान राम के नयनों को कमल के समान कहा जाता है. इसी वजह से भगवान ने अपने एक नेत्र को अर्पण करने का निर्णय लिया था. जैसे ही भगवान अपना नेत्र निकालने लगे उसी वक्त देवी मां प्रकट हुई और प्रसन्न होकर उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया.