राजनीति और खेल का तड़का साथ-साथ चलता है। बंगाल चुनाव के साथ ही फिल्म कलाकार और खिलाड़ियों पर राजनीतिक दल डोरे डालने लगे हैं। पश्चिम बंगाल की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से एंट्री करने के कयासों पर टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली ने अपनी चुप्पी तोड़ दी है। एक साक्षात्कार में उन्होंने राजनीति के सवाल पर कहा कि ‘हर व्यक्ति हर रोल के लिए नहीं होता है। अपने इस जवाब से उन्होंने साफ कर दिया है कि निकट भविष्य में वह राजनीति से नहीं जुड़ेंगे। खुद को क्रिकेटर के तौर पर ही हमेशा रखेंगे। सौरभ गांगुली ने अपनी टिप्पणी से साफ किया है कि वह आगे भी क्रिकेट के लिए काम करते रहेंगे। बीसीसीआई अध्यक्ष क तौर पर खेल प्रशासक के रोल में आने के बाद से उनके राजनीति में आने के भी कयास लगाए जा रहे थे। बंगाल चुनाव के दौरान ऐसे कयास भी लगाए जा रहे थे कि सौरभ गांगुली 7 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी की रैली में आ सकते हैं। रैली में उनकी सहभागिता को लेकर बंगाल बीजेपी उम्मीद लगाये बैठी थी।
सौरभ गांगुली के दोस्त और सीपीएम नेता अशोक भट्टाचार्य ने कहा कि सौरभ गांगुली राजनीति में नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि सौरभ गांगुली का आज मुझे कॉल आया था। उन्होंने कहा कि मैं उसी से जुड़ा रहूंगा, जो काम मैं कर रहा हूं। मैं राजनीति में एंट्री नहीं करना चाहता। इस तरह उन्होंने बीजेपी की अटकलबाजियों को विराम लगा दिया। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता शामिक भट्टाचार्य ने कहा कि सौरभ गांगुली सामान्य गतिविधियों में लौट आए हैं। यदि वह आते हैं तो लोग पसंद करेंगे।
उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि उनका फैसला क्या है। इसे लेकर उन्हें ही निर्णय लेना है। सौरभ गांगुली ने किसी रैली में शामिल होने के आमंत्रण को लेकर तो कोई बात नहीं की। बल्कि उन्होंने कहा कि वह खिलाड़ी हैं। सौरभ गांगुली ने साक्षात्कार के दौरान भी कहा कि उनसे सिर्फ क्रिकेट से जुड़े सवाल ही हों। ज्ञात कि पश्चिम बंगाल के चुनाव में क्रिकेटरों के भी राजनीतिक दलों में शामिल होने का सिलसिला जारी है। टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी ने टीएमसी, अशोक डिंडा बीजेपी में शामिल हुए हैं।