उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में उठापटक तेज हो गयी है। सरकार के मंत्रिमंडल और भारतीय जनता पार्टी संगठन में फेरबदल की अटकलबाजी कई दिनों से लगायी जा रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले का राजधानी लखनऊ में एक दिवसीय दौरा कई अटकलों को और हवा दे गया। पर्दे के पीछे बन रहे राजनीतिक समीकरण ने भाजपाइयों की बेचैनी बढ़ा दी है। वरिष्ठ नेताओं और पार्टी कार्यालयों के फोन दिन भर अटकलों की बीच रह रहे हैं। पार्टी नेतृत्व की ओर से कुछ भी बोलने को कोई तैयार नहीं है। उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल और भारतीय जनता पार्टी संगठन में फेरबदल की अटकलों के केंद्र में गत दिनों नौकरशाह से रातोंरात विधान परिषद में सदस्य बनाए गए अरविंद शर्मा हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अधिकारी रहे अरविंद शर्मा राजनीतिक जामा पहनने के पहले से ही चर्चा में थे हैं। उनको लेकर कभी उप मुख्यमंत्री पद की शपथ जल्द ही दिलाए जाने की चर्चा चलती है तो कभी कैबिनेट में महत्वपूर्ण विभाग दिए जाने की।
प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में उप मुख्यमंत्री, गृहमंत्री से लेकर वित्त और औद्योगिक विकास जैसे विभागों का जिम्मा सौंपे जाने की चर्चा हमेशा बनी रहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योगी काम करने की सराहना व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लंबी मुलाकात से अब एक बार फिर उन्हें महत्वपूर्ण दायित्व सौंपे जाने की चर्चाएं गर्म हो गईं हैं। कोरोना महामारी व पंचायत चुनाव के बाद से अन्य कई अटकलों लगायी जा रही हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने की अटकलों से राजधानी का सियासी पारा चढ़ गया है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष और स्वतंत्र देव सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाने की चर्चा चलाने वालों ने 28-29 में मंत्रिमंडल विस्तार के कयासों को खूब हवा देने का काम किया है। आधा दर्जन मंत्रियों की छुट्टी होने की चर्चा भी इंटरनेट मीडिया पर बहुत तेजी से फैल रही है।
बताया जा रहा है कि कोरोना महामारी से बिगड़े हालात के बीच सरकार या संगठन में बदलाव की कोई संभावना नहीं दिखती है। स्थिति सामान्य होने पर विधानसभा चुनाव के अनुसार से सामाजिक समीकरण साधने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार संभव है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह, महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने भी बदलाव की चर्चाओं को बेबुनियाद बताया है।