उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में होने वाले विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Elections) में राज्य के बड़े सियासी दलों ने कमर कस ली है. राज्य में चुनावों का ऐलान हो गया है. राज्य के छोटे दलों की अहमियत बढ़ गई है. क्योंकि हर कोई सियासी दल इन दलों से करार कर खुद की सीट पक्की करना चाहता है. क्योंकि स्थानीय स्तर पर कई छोटे दलों की मजबूत पकड़ है. वहीं अभी तक राज्य के छोटे सियासी दलों के साथ करार करने में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) सबसे आगे हैं. जबकि बीजेपी भी छोटे दलों से करार कर रही है. जबकि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का किसी भी दल के साथ करार नहीं हुआ है.
असल में छोटे दलों के साथ गठबंधन का फार्मूला बीजेपी ने राज्य में 2014 के लोकसभा लागू किया था और उसे इसमें सफलता भी मिली थी. राज्य में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना दल और सुभासपा के साथ करार किया था और इस चुनाव में जहां बीजेपी को 312 सीटें मिली थी जबकि उसके सहयोगी अपना दल को 9 सीटें और सुभासपा को 4 सीटें मिली थी. दिलचस्प ये है कि सुभासपा को इस चुनाव एक फीसदी से भी कम वोट मिला था और वह चार सीटें जीतने में कामयाब रही. जबकि इससे पहले सुभासपा राज्य में खाता भी नहीं खोल सकी थी. लेकिन इस बार सुभासपा समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़ रही है.
अपना दल बीजेपी से कर रही है ज्यादा सीटों की मांग
अपना दल ने 2017 में नौ सीटें जीती और 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी से दो-दो सांसद चुने गए थे. वहीं पार्टी ने पूर्वांचल, बुंदेलखंड, मध्य उत्तर प्रदेश और पश्चिम के बरेली और रामपुर के आसपास के इलाकों में 145 सीटों का चयन किया. इन सीटों पर कुर्मी बिरादरी के वोटों की खासी संख्या है. जिसके बाद अपना दल इस बार बीजेपी से ज्यादा सीटें चाहती है.
बीजेपी ने किया निषाद पार्टी से करार
वहीं बीजेपी ने इस बार राज्य में निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है. बीजेपी ने पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद को एमएलसी बनाया है जबकि उनके बेटे सांसद हैं. पार्टी को पहली बार सफलता मिली है. लेकिन पार्टी इस बार राज्य में बीजेपी के साथ गठबंधन में ज्यादा सीटें चाहती है.
पश्चिम में रालोद एसपी का सहयोगी
पश्चिम उत्तर प्रदेश में इस बार चुनाव बड़ा दिलचस्प माना जा रहा है. क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां पर बड़ी सफलता हासिल की थी. लेकिन इस बार किसान आंदोलन के कारण बीजेपी नई रणनीति बना रही है. पिछले चुनाव में रालोद को पश्चिम उत्तर प्रदेश में महज एक सीट मिली थी. लेकिन इस बार पार्टी ने समाजवादी पार्टी से करार किया है. लेकिन अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है.
एसपी ने राज्य में किया करीब डेढ़ दर्जन छोटे दलों से करार
राज्य में समाजवादी पार्टी ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की करीब डेढ़ दर्जन छोटे सियासी दलों के साथ करार किया है. वहीं कई दलों का पार्टी में विलय हो गया है. वहीं कहा जा रहा है कि एसपी के सामने आने वाले समय में सीटों के बंटवारे को लेकर बड़ी समस्या आ सकती है. क्योंकि चुनाव को देखते हुए छोटे दलों की बड़ी मांग सामने आ रही हैं.