Breaking News

यदि कोई बाहरी प्राकृतिक ताकत शामिल नहीं है, तो आग लगना कोई ‘दैवीय घटना’ नहीं है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि आग (Fire) लगने की वजह यदि प्राकृतिक नहीं तो उसे ‘एक्ट ऑफ गॉड’ (दैवीय आपदा) नहीं कह सकते। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के उस आदेश को निरस्त करते हुए यह टिप्पणी की जिसमें शराब की एक कंपनी मैकडॉवेल (McDowell) के गोदाम में आग लगने की घटना को ‘एक्ट ऑफ गॉड’ करार दिया गया था और उसे उत्पाद शुल्क दायित्व से छूट दी गई थी।

पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि यह ऐसा मामला नहीं था जहां प्राकृतिक शक्तियों जैसे तूफान, बाढ़, बिजली या भूकंप की वजह से आग लगी। किसी भी बाहरी प्राकृतिक बल के कारण आग की घटना नहीं हुई हो तो कानूनी भाषा में इसे ‘एक्ट ऑफ गॉड’ से संदर्भित नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने यह भी पाया कि आग किसी व्यक्ति की शरारत के कारण नहीं लगी थी।

गौरतलब है कि 10 अप्रैल 2003 को दोपहर 12:55 बजे के आसपास लगी आग पर अगले दिन सुबह पांच बजे काबू पाया जा सका था। पीठ ने कहा, जब सभी प्रासंगिक कारकों को समग्र रूप से ध्यान में रखा जाता है तो हमें यह स्वीकार करना मुश्किल लगता है कि आग और इसके परिणामस्वरूप हुआ नुकसान नियंत्रण से बाहर था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि आग अपने आप उत्पन्न नहीं हुई थी और उचित अग्निशामक उपायों के साथ घटना से बचा जा सकता था या कम से कम नुकसान को कम किया जा सकता था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस संबंध में हाईकोर्ट की टिप्पणियां सही नहीं लगती हैं और इसे अस्वीकृत करने की आवश्यकता है। शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश के आबकारी विभाग द्वारा हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आग में शराब के नष्ट होने के कारण मैकडॉवेल कंपनी से उत्पाद राजस्व के नुकसान की मांग को खारिज कर दिया गया था।

हाईकोर्ट ने कहा था कि आबकारी आयुक्त द्वारा 6.39 करोड़ रुपये की आबकारी राजस्व की मांग करने का आदेश अनुमानों पर आधारित था। कंपनी की ओर से लापरवाही के बारे में किसी भी ठोस सबूत हुए बिना आबकारी आयुक्त ने आदेश पारित किया। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा था कि यह घटना कुछ और नहीं बल्कि ‘एक्ट ऑफ गॉड’ है।