राजस्थान में 25 सितंबर को हुए सियासी घमासान और विधायक दल की बैठक के बहिष्कार के बाद हुए घटनाक्रम पर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पहली बार खुलकर बोले हैं. सियासी ड्रामे पर पायलट ने मंगलवार को जयपुर में कहा कि विधायक दल की बैठक के रद्द होने के बाद आलाकमान की ओर से नोटिस मिलने वाले तीनों नेताओं पर जल्द फैसला होना चाहिए. वहीं पायलट ने मंगलवार को मानगढ़ धाम में पीएम मोदी द्वारा गहलोत की तारीफ करने पर भी तंज कसते हुए गुलाम नबी आजाद का जिक्र किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आलाकमान को पार्टी और संगठन से खिलाफत करने वालों पर एक्शन लेकर एक मिसाल पेश करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पार्टी में हर किसी के लिए अनुशासन समान होना चाहिए.
मालूम हो कि बीते सितंबर में जयपुर में विधायक दल की बैठक से पहले मंत्री शांति धारीवाल के घर विधायकों की एक समानांतर बैठक बुलाई गई थी जिसके बाद गहलोत गुट के विधायक सीएलपी मीटिंग में नहीं पहुंचे थे और इसके बाद दिल्ली से आए पर्यवेक्षक वापस लौट गए थे. वहीं पर्यवेक्षक के तौर पर जयपुर आए अजय माकन ने अगले दिन पूरे घटनाक्रम की एक रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपी थी जिसके बाद तीनों नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे.
13 महीने बचे हैं, आलाकमान करे फैसला
वहीं पायलट ने राजस्थान में नेतृत्व बदलने के सवाल पर कहा कि राजस्थान में 13 महीनों बाद चुनाव होने हैं ऐसे में आलाकमान को फैसला करना है कि किस नेता को कौनसी जिम्मेदारी देनी है. पायलट ने कहा कि विधायक दल की बैठक पर आलाकमान को फैसला करना है जो जल्द ही कोई निर्णय लेंगे.
उन्होंने कहा कि 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी वह बैठक हो नहीं पाई थी उसके लिए मुख्यमंत्री ने खुद माफी मांगी थी और एआईसीसी ने इसे अनुशासनहीनता माना था. पायलट ने मांग कर कहा कि नियम कायदे सभी के लिए बराबर हैं और जिन्हें नोटिस मिला है उन पर शीघ्र निर्णय लिए जाने चाहिए. वहीं पायलट ने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी और संगठन में अनुशासन बनेगा और हम मिलकर उनके दिशानिर्देश में काम करेंगे.
गहलोत की तारीफ कर मोदी ने दिया संकेत
वहीं पायलट ने इशारे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मानगढ़ में पीएम मोदी द्वारा तारीफ करने पर निशाना साधा. पायलट ने कहा कि मानगढ़ धाम में नरेंद्र मोदी एक बड़ा संकेत देकर गए हैं. उन्होंने कहा कि पीएम इससे पहले इससे पहले नरेंद्र मोदी गुलाम नबी आजाद की भी तारीफ कर चुके हैं जिसके बाद गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी.