आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले से हत्या का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है जहां एक दंपति ने अंधविश्वास के चलते अपनी दो जवान बेटियों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी. इतना ही नहीं, जब मां का कोविड टेस्ट होना था तो वह बोली कि मेरे गले में हलाहल है, मुझेे इसकी जरूरत नहीं. आरोपी पुरुषोत्तम नायडू व पद्मजा ने पहले छोटी बेटी दिव्या को त्रिशूल घोंपकर मारा. फिर बड़ी बेटी आलेख्या के मुंह में तांबे का कटोरा ठूंस दिया और उसके सिर पर डंबल से जोरदार वार किया, जिससे उसकी भी मौत हो गई.
आरोपी पुरषोत्तम और पद्मजा पिछले कुछ समय से घर में चमत्कार होने की पूजा कर रहे थे और बेटियों को मारने के बाद उनके शव के पास बैठ कर कह रहे थे कि ये सुबह सतयुग शुरू होने के साथ ही जिंदा हो जाएंगी. 55 वर्षीय पुरुषोत्तम नायडू डिग्री कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल हैं जबकि 50 वर्षीय उनकी पत्नी पद्मजा एक निजी शिक्षण संस्थान में ट्रेनर हैं और गणित विषय में गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं. डीएसपी रवि मनोहरचारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे. तब पुलिस को पूजा वाले कमरे में एक बेटी और अन्य कमरे में दूसरी बेटी का शव मिला. डीएसपी ने बताया कि पूजा वाले कमरे में लाल कपड़े टंगे थे. बेटी के शव पास भी पूजा का सामान बिखरा पड़ा था.
पुलिस ने दोनों शव कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर में पहुंचाए. आरोपी दंपति पुरुषोत्तम व पद्मजा को आईपीसी के सेक्शन 302 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. जब दंपति को कोरोना टेस्ट के लिए हॉस्पिटल ले जाया गया वहां भी पद्मजा अजीबोगरीब बातें करती दिखीं. मेडिकल टीम को वह कह रही थी कि मैं शिव हूं, मेरे शरीर के पार्टिकल से ही कोरोना आया था. मार्च में बिना वैक्सीन के ये खत्म हो जायेगा और वैक्सीन की कोई जरूरत नहीं है. बाद में जब दंपति का मेडिकल चेक कराया तो पता चला कि पद्मजा किसी मानसिक बीमारी से ग्रसित है जिसमें वो सतयुग और कलयुग को प्रभावी मान रही हैं और ये मान रही हैं कि उसकी बेटी सुबह सूरज के उगते ही जिंदा हो जायेगी.