यदि परिवार में किसी की मृत्यु हो गई है और उसके दाह संस्कार का अधिकार उसकी संतान को होता है. कहा जाता है कि इसे से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. लेकिन अगर दाह संस्कार करने के लिए उसकी संतान पास नहीं है, तो उनका इंतजार करने के लिए शव को घर में रोककर रखा जाता है. इसके अलावा यदि सूर्यास्त के बाद किसी की मृत्यु हुई है, तो भी उसके शव को अगले दिन तक रोका जाता है क्योंकि गरुड़ पुराण में सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार करने की मनाही है. इससे मृतक की आत्मा को अधोगति प्राप्त होती है और वो असुर, दानव या पिशाच योनि में जन्म लेता है.
परिस्थिति चाहे जो भी हो, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि किसी भी हालात में कभी भी शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. किसी न किसी को शव के पास रहना जरूरी है, वर्ना कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. गरुड़ पुराण में भी शव को अकेला न छोड़ने की बात कही गई है और इसके कुछ कारण भी बताए गए हैं. आप भी जानिए इसके बारे में.
1. रात में मृत शरीर को अकेला छोड़ना बड़ी परेशानी की वजह बन सकता है. दरअसल रात के समय तमाम बुरी आत्माएं सक्रिय होती हैं. ऐसे में वे मृतक के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं और परिवार के लोगों के लिए भी संकट पैदा कर सकती हैं.
2. शव को अकेला इसलिए भी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि मरने के बाद मृतक की आत्मा वहीं शव के आसपास रहती है. वो वापस उस शरीर में प्रवेश करना चाहती है क्योंकि उसका अपने शरीर से जुड़ाव होता है और अपनों की मोह माया उस आत्मा पर हावी होती है. ऐसे में जब वो अपने लोगों को शव को अकेला छोड़ते देखती है तो उसे दुख होता है.
3. शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो उसके आसपास लाल चींटियां या अन्य कीड़े मकौड़े आने का डर बना रहता है. इसलिए कोई शव के पास बैठकर उसकी रखवाली करना जरूरी बताया गया है.
4. रात में तांत्रिक क्रियाएं भी की जाती हैं. ऐसे में शव को अकेले छोड़ने से मृत आत्मा संकट में पड़ सकती है. इसलिए शव के आसपास किसी न किसी को जरूर होना चाहिए.
5. यदि ज्यादा देर तक शव रखा रहे तो शव से निकलने वाली गंध के चलते कई तरह के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और मक्खियां भी भिनभिनाने लगती हैं. इसलिए शव के आसपास बैठकर अगरबत्ती वगैरह जलाते रहना चाहिए.