अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत मामले में सीबीआई धीरे-धीरे खुलासे के करीब पहुंचती जा रही है। कड़ी से कड़ी जोड़ रही गई सीबीआई के हाथ कुछ अहम सुराग भी लगे हैं। इनके जरिए सीबीआई इस पेचीदा मामले को अंजाम तक पहुंचा सकती है। महंत नरेंद्र गिरी के करीबियों से पूछताछ में भी सीबीआई को कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। इन्हें लेकर शनिवार को आरोपियों से भी करीब सात घंटे पूछताछ की गई।
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, अब तक की जांच में सूइसाइड नोट पर किए गए नरेंद्र गिरी के हस्ताक्षर उनके बैंक खाते में किए गए हस्ताक्षर से मैच हो गए हैं। स्यूसाइड नोट पर मिले नरेंद्र गिरी के फिंगर प्रिंट का मिलान भी उनके फिंगरप्रिंट से किया गया है। नरेंद्र गिरी के कथित सूइसाइड लेटर की फरेंसिक जांच अभी जारी है और सीबीआई ने इस बारे में अभी आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी है। वहीं, सीबीआई महंत के शिष्य आनंद गिरी का लाई डिक्टेटर टेस्ट करवाने की भी तैयारी कर रही है। इसके लिए सीबीआई कोर्ट से अनुमति लेगी।
सीबीआई महंत के करीबियों और उनके लगातार संपर्क में रहने वाले लोगों की लिस्ट तैयार कर उनसे पूछताछ कर रही है। इनमें कुछ राजनीतिक लोग और उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं। कुछ अधिकारियों से भी सीबीआई पूछताछ करने की तैयारी में है। इसके साथ ही महंत की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों और पूर्व में सुरक्षा में रहे पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है। इन्हें क्रॉस एग्जामिन भी किया जा रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के सचिव महंत हरि गिरी ने कहा है कि अखाड़ा परिषद अपने स्तर पर इस मामले की जांच कराने की तैयारी में है। महंत नरेंद्र गिरी की मौत की जांच के लिए हाई कोर्ट के पांच रिटायर्ड जजों को मिलाकर एक अलग जांच पैनल नियुक्त करने की मांग की जाएगी। यह मुद्दा सभी संतों की सुरक्षा से जुड़ा है।
महंत हरी गिरी जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक भी हैं। वह घटना के बाद से ही इसे आत्महत्या मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच का नतीजा जो भी हो, वे यह मानने को तैयार नहीं हैं कि महंत नरेंद्र गिरी आत्महत्या कर सकते हैं। नरेंद्र गिरी 30 साल से अधिक समय से उनके करीबी सहयोगी थे। महंत नरेंद्र गिरी की वसीयत के अनुसार बलबीर को 5 अक्टूबर को उनका उत्तराधिकारी बनाया जाएगा। इस तरह वह मठ बाघंबरी गद्दी के महंत और बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य आचार्य के पद पर स्थापित हो जाएंगे। लेकिन महंत नरेंद्र गिरी की वसीयत को लेकर निरंजनी अखाड़े में संत एकमत नहीं हैं। वसीयत में बलवीर के अलावा जिन अन्य लोगों को मठ की जिम्मेदारियों पर बनाए रखने के लिए कहा गया है वे संत नहीं हैं। इसलिए इसे लेकर अखाड़े में नाराजगी है।
संतों का कहना है कि, मठ या अखाड़े में संतो को ही जिम्मेदारियां दी जाती हैं। मठ या अखाड़े की संपत्ति किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं होती, इसलिए उसे व्यक्तिगत रूप से किसी को दिया भी नहीं जा सकता। वसीयत में मठ या अखाड़े के किसी संत को गवाह के रूप में नहीं रखा गया है। जबकि संतों का दावा है कि पूर्व में हुई वसीयत में अखाड़े के संत गवाह के रूप में रहे हैं। इसलिए इस वसीयत को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।